अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

समाचार

जशपुर में बन रहा ट्रायबल टूरिस्ट विलेज, लकड़ी के मकानों में रहकर जनजातियों की जीवनशैली को जान सकेंगे पर्यटक…

उद्योगविहीन जशपुर को पर्यटन स्थल बनाने के कई काम हो रहे हैं। उनमें ट्रायल टूरिस्ट विलेज भी शामिल हैं।  पर्यटन विभाग इसका निर्माण शहर से 4 किलोमीटर दूर बालाछापर स्थित चार एकड़ जमीन पर करा रहा है है।  यह नए साल के आने से पहले बनकर तैयार हो जाएगा। जिले में निवासरत पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जैसी जनजातियों की जीवन शैली पर आधारित चीजें जुटाई जा रही है, ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक जनजातीय परिवार की रहन-सहन की जीवनशैली के रोमांच से रूबरू हो सके। 


ट्रायबल टूरिस्ट विलेज का निर्माण का 75 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। यहां लैंडस्कैप तथा ओपन एमपी थिएटर सहित इको हट्स का निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण पूरा होने पर ट्रायबल टूरिस्ट विलेज में स्थानीय प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाए जाएंगें। जिले के पुरातात्विक स्थल पर विद्यमान पत्थर की मूर्तियों को ध्यान में रखते हुए उसी शैली में पत्थर की प्रतिमाएं बनाई जा रही है। उसके मुख्यद्वार पर लगाया जाएगा। भारत सरकार के स्वदेश दर्शन योजना में इसका निर्माण 8 करोड़ रुपए की लागत से कराया जा रहा है।  

टेली कम्युनिकेशन इंडिया लिमिटेड इसको योजना को आकार दे रही है। वर्तमान में यहां ट्रायबल आर्टिशियन सेंटर लग हट्स, व्याख्यान भवन, कैफेटेरिया, ओपन एमपी थिएटर का निर्माण कराया जा रहा है। कलाकार एवं टूरिस्ट को ठहरने के लिए पूर्णत: लकड़ी से निर्मित हट्स का निर्माण पूर्णता की ओर है। ट्रायबल टूरिस्ट विलेज बालाछापर में स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित विविध प्रकार की कलाकृतियों के प्रदर्शन एवं बिक्री की भी व्यवस्था रहेगी।

चाय बागान भी होगा विकसित  : पर्यटन विभाग द्वारा बनाए जा रहे ट्रायबल टूरिस्ट विलेज के पास चाय बागान विकसित करने की भी प्लानिंग बन चुकी है। डीएफओ ने बताया कि टूरिस्ट विलेज के पास की लगभग 100 एकड़ जमीन पर चाय बागान बनाने की योजना पर काम चल रहा है। उस आसपास के जमीन मालिकों को चाय की खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अगर यहां चाय बागान भी बन जाता है तो काफी अधिक संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे।

See also  आज पता चला मोबाइल ने और इंटरनेट ने क्या-क्या छीना...

जनजाति थीम पर तैयार हो रहा विलेज : ट्रायबल टूरिस्ट विलेज का निर्माण तेजी से चल रहा है। नए साल से पहले इसके बनकर तैयार हो जाने की पूरी उम्मीद है। जिले में निवासरत कोरवा, बिरहोर जनजातियों के रहन-सहन, उनकी संस्कृति व कला से पर्यटक इस टूरिस्ट विलेज में रहकर रूबरू हो सकेंगे। कुछ दिन बाद से यहां जिला प्रशासन द्वारा कुछ कार्यक्रम शुरू कराए जाएंगे। वर्तमान में यहां ट्रायबल आर्टिशियन सेंटर लग हट्स,  कैफेटेरिया, ओपन एमपी थिएटर निर्माण कराया जा रहा है।