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पंचभूत में विलीन हुए भारत के ‘रतन ‘

 अनादि न्यूज़ डॉट कॉम , मुंबई।  सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया। उम्र संबंधी परेशानियों की वजह से उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने समूह का हिस्सा होते हुए समूह को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। साल 2000 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण और साल 2008 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। उनके द्वारा नैनो कार से लेकर जगुआर तक लिए गए निर्णयों ने लोगों का नजरिया बदला दिया । आईये देखे उनके अमूल्य जीवन सफ़र को ।

उनका जन्म  28 दिसम्बर 1937 को बम्बई, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मुंबई) में हुआ ।  रतन टाटा , नवल टाटा और सूनी कमिसारिएट के पुत्र थे। जब रतन टाटा 10 वर्ष के थे, तब वे अलग हो गये। इसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय से उन्हें गोद लिया। टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के पुत्र) के साथ किया।

उन्होंने कैंपियन स्कूल, मुंबई, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की। वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं।

अपनी पढाई पूरी ख़तम करने के उपरांत वे 1962 में भारत वापस आगये और टाटा इंडस्ट्रीज में  सहायक के रूप में शामिल हुए। इसके बाद वे विभिन्न कम्पनीयों में अपनी सेवा दी और 1981 में , उन्होंने समूह की अन्य होल्डिंग कंपनी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया । जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो उन्होंने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उन्हें कई कंपनियों के प्रमुखों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अपनी-अपनी कंपनियों में दशकों तक काम किया था। टाटा ने सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित करके उनकी जगह लेना शुरू कर दिया। उन्होंने प्रत्येक कंपनी के लिए समूह कार्यालय में रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया। उनके नेतृत्व में टाटा संस की अतिव्यापी कंपनियों को एक समन्वित इकाई के रूप में सुव्यवस्थित किया गया।

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उनके 21 वर्षों के कार्यकाल के दौरान राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा। 1991 में  5.7  बिलियन डॉलर कमाने वाली कंपनी की साल 2016 में कमाई बढ़कर 103 बिलियन डॉलर की होगई । उन्होंने टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की, जिससे यह संगठन मुख्यतः भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया।

उन्होंने टाटा नैनो कार की भी संकल्पना तैयार की थी। कार की कीमत ऐसी रखी गई थी, जो औसत भारतीय उपभोक्ता की पहुंच में थी। 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। साइरस मिस्त्री को उनका उत्तराधिकारी नामित किया गया, हालांकि, निदेशक मंडल और कानूनी प्रभाग ने 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें हटाने के लिए मतदान किया और रतन टाटा को समूह का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।

रतन टाटा के उत्तराधिकारी का चयन करने के लिए , टीवीएस समूह के प्रमुख वेणु श्रीनिवासन, बेन कैपिटल के अमित चंद्रा, पूर्व राजनयिक रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य की एक चयन समिति गठित की गई थी। समिति ने 12 जनवरी 2017 को नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस का अध्यक्ष घोषित  किया। रतन टाटा ने अपनी निजी बचत  अलग – अलग कंपनियों में की जैसे   स्नैपडील, टीबॉक्स और कैशकरो डॉट कॉम में निवेश की। उन्होंने ओला कैब्स, शियोमी, नेस्टवे और डॉगस्पॉट में भी निवेश किया।

एक चर्चा के दौरान उन्होंने कहाँ की वे शादी करने के करीब 4 बार आयें लेकिन किसी कारण वश शादी नहीं कर पाए । एक व्याख्या उन्होंने साझा किया की जब वे लास एंगलिस में कम कर रहे थे , तब एक समय उन्हें प्यार हो गया। लेकिन 1962  के भारत – चीन युद्ध के कारण लड़की के माता – पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे । जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की।

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अपने परोपकारी काम  के लिए थे मशहूर, रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वितीय सहायता प्रदान करने के लिए कार्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृति कोष स्थापित किया ।  2010 में , टाटा समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक कार्यकारी केंद्र बनाने  के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया , जहाँ उन्होंने स्नातक प्रशिक्षण प्राप्त किया , जिसे टाटा हॉल नाम दिया गया । 2014 में , टाटा समूह ने आईआईटी – बाम्बे को 95 करोड़ रूपए का दान दिया और सिमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की आवश्यकता के अनुकूल डिज़ाइन इंजीनियरिंग सिधान्तो को विकसित करने के लिए टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन का गठन किया ।

उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं व उद्योगपतियों ने शोक जताया है।