अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है, जहां रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। शुक्रवार सुबह कारोबार शुरू होते ही रुपया 25 पैसे टूट गया, जिसके बाद वो अब तक के निचले स्तर 81.09 पर पहुंच गया। इससे पहले गुरुवार को भी भारतीय रुपये का कमजोर प्रदर्शन रहा, जहां कारोबार की शुरुआत में वो 41 पैसे टूट 80.38 पर पहुंचा। इस खबर के सामने आते ही विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।
दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने रेपो दर में 75 आधार अंकों की वृद्धि की थी, जिसके बाद से ब्याज दरें बढ़ गई हैं। ये उम्मीदों के अनुरूप लगातार तीसरी वृद्धि है, जिसका मतलब है कि निवेशक मौद्रिक के बीच बेहतर और स्थिर रिटर्न के लिए अमेरिकी बाजारों की ओर बढ़ेंगे। फेड ने ये भी संकेत दिया कि अभी ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहेगी और ये दरें 2024 ऊंचाई पर ही रहेंगी। इसके अलावा यूएस सेंट्रल बैंक लंबे समय में 2 प्रतिशत की दर से अधिकतम रोजगार और मुद्रास्फीति प्राप्त करना चाहता है। ऐसे में उसका मानना है कि ब्याज दरें बढ़ने से मुद्रास्फीति दर में गिरावट लाने में मदद मिलेगी।
क्यों मजबूत हो रहा डॉलर ?
दरअसल कोरोना महामारी के बाद अमेरिका की अर्थव्यवस्था बेहतरीन प्रदर्शन कर रही। वहां पर महंगाई दर ज्यादा है और रोजगारी की स्थिति भी मजबूत है। इसके अलावा अन्य सेक्टर भी अच्छा काम कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व भी महंगाई काबू करने के लिए कई कड़े कदम उठा रहा, जिस वजह से डॉलर लगातार मजबूत होता जा रहा है।
क्या है डॉलर की मजबूती का मतलब ?
अगर आप अमेरिका जाते हैं तो आपको उससे पहले डॉलर खरीदना होगा। डॉलर की मजबूती के बाद अब आपको एक डॉलर खरीदने के लिए 80.38 रुपये देना होगा। वहीं कोई अमेरिकी भारत आता है, तो वो एक डॉलर के बदले 80.38 रुपये पाएगा। डॉलर की मजबूती से अंतरराष्ट्रीय व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, क्योंकि भारत ज्यादातर देशों से डॉलर में ही व्यापार करता है।





