अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

देश

अमित शाह ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में ‘मंथन बैठक’ की अध्यक्षता की

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली : केंद्रीय गृह और सहकारिता मामलों के मंत्री अमित शाह ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ ‘ मंथन बैठक ‘ की अध्यक्षता की । इससे पहले 20 जून को अमित शाह ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के अवसर पर मुंबई में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया था ।

केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि सहकारिता जहां पूरी दुनिया के लिए एक आर्थिक व्यवस्था हो सकती है, वहीं भारत के लिए सहकारिता एक पारंपरिक जीवन दर्शन है। साथ रहना, साथ सोचना, साथ काम करना, एक लक्ष्य की ओर बढ़ना, सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े होना, भारतीय दर्शन की आत्मा का हिस्सा है।उन्होंने कहा कि लगभग 125 वर्ष पुराना सहकारिता आंदोलन अनेक उतार-चढ़ावों के दौरान देश के गरीबों, किसानों, ग्रामीण नागरिकों और विशेषकर महिलाओं के लिए सहारा रहा है।

अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन के तहत अमूल, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको), कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) जैसी संस्थाओं ने सफलता की अनगिनत कहानियां गढ़ी हैं। आज अमूल से 36 लाख गरीब ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं, जिन्होंने 100 रुपए से ज्यादा पूंजी नहीं लगाई है, फिर भी उनकी मेहनत के कारण अमूल का टर्नओवर 80,000 करोड़ रुपए है, जिसका मुनाफा सीधे इन महिलाओं के बैंक खातों में जमा होता है।

शाह ने कहा कि चाहे इफको हो या कृभको, छोटे किसान अपने खेतों में मेहनत करके अपनी उपज भारत सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर देते हैं और वही अनाज गरीबों को हर महीने 5 किलो मुफ्त राशन के रूप में वितरित किया जाता है। इस पूरी योजना की रीढ़ NCCF और विशेष रूप से NAFED है।

See also  'सिंधु जल संधि' खत्म करने से तिलमिलाया पाकिस्तान

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया है, जिसका विषय है “सहकारिताएं एक बेहतर विश्व का निर्माण करती हैं”। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना तथा गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का समाधान करना है।