अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, दमोह : वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पर्यटन का आज अंतिम दिन है। एक जुलाई से प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व की तरह यहां भी पर्यटकों के प्रवेश पर तीन महीने तक रोक रहेगी।
टाइगर रिजर्व अब एक अक्टूबर से दोबारा पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। मध्यप्रदेश का यह सातवां टाइगर रिजर्व सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला हुआ है। यहां भविष्य में बैटरी चालित वाहन शुरू करने की योजना भी बनाई जा रही है ताकि जंगल में प्रदूषण कम हो और वन्यजीवों को अनुकूल वातावरण मिल सके। यह टाइगर रिजर्व नौरादेही और दुर्गावती अभ्यारण्यों को मिलाकर बनाया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल 2,339 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 1,414 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 925.12 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में यहां 24 से अधिक बाघ हैं।
इनमें नन्हें शावकों से लेकर व्यस्क बाघ भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने अलग-अलग इलाके बना लिए हैं। बाघों के अलावा यहां तेंदुआ, नीलगाय, भालू, सांभर, चीतल समेत कई अन्य शाकाहारी और मांसाहारी प्रजातियां भी पाई जाती हैं। इस टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा दमोह जिले में आता है। रिजर्व प्रबंधन इसे अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। सूत्रों के मुताबिक भविष्य में यहां बाघ और चीता दोनों को एक ही रिजर्व में रखने की योजना पर भी विचार चल रहा है। यदि यह संभव होता है तो यह देश का पहला टाइगर रिजर्व होगा जहां दोनों बड़े मांसाहारी वन्यजीव साथ देखे जा सकेंगे।
साथ ही जंगल सफारी के लिए पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाकर बैटरी चालित वाहनों का प्रयोग बढ़ाने की तैयारी चल रही है ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। अधिकारियों का मानना है कि पेट्रोल वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण वन्यजीवों के लिए हानिकारक साबित होता है। टाइगर रिजर्व हर साल बारिश के मौसम में बंद कर दिए जाते हैं। इसका एक कारण बाघिनों का प्रजनन काल होता है, जिसके लिए शांत वातावरण जरूरी होता है। दूसरा कारण पर्यटकों की सुरक्षा है, क्योंकि बारिश के दौरान जंगल के रास्ते दलदली हो जाते हैं और नदी-नाले उफान पर रहते हैं। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। इसी वजह से एक जुलाई से प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व तीन माह के लिए बंद रहते हैं और एक अक्टूबर से पुनः खोले जाते हैं।