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इसरो 55 से ज्यादा क्षेत्रों में सक्रिय, यूपी का हर तरह से सहयोग करने को तैयार: वी नारायण

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, लखनऊ: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मौसम पूर्वानुमान, कृषि, आपदा प्रबंधन और तकनीकी नवाचारों के जरिए राज्यों की जरूरतों को पूरा करने पर जोर दे रहा है। उत्तर प्रदेश में भी जलवायु डेटा, बिजली गिरने की सटीक भविष्यवाणी और खेती में उपग्रह आधारित मदद जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं मौजूद हैं। इन्हीं मुद्दों पर इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने आईएएनएस से खास बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश।

प्रश्न : क्या उत्तर प्रदेश में जलवायु डेटा से जुड़ी कोई योजना है?

जवाब: देखिए, इसरो मौसम की भविष्यवाणी के लिए कई काम कर रहा है। मौसम का अनुमान लगाना भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का मुख्य काम है, लेकिन इसरो अपने सैटेलाइट डेटा से मौसम में बदलाव का अध्ययन करता है। इससे मौसम की भविष्यवाणी को और सटीक करने में मदद मिलती है। अभी हमारे पास कुछ सैटेलाइट हैं, और हम इन्हें और बेहतर कर रहे हैं ताकि मौसम का अनुमान और सही हो। अगर मौसम की भविष्यवाणी सटीक होगी, तो बदलावों को पहले से जानना आसान हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के बारे में बात करें तो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि बिजली गिरने से लोगों की जान और पैसों का नुकसान होता है। इसरो इस क्षेत्र में राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर सकता है, ताकि बिजली गिरने की सटीक भविष्यवाणी हो सके। इसके अलावा, इसरो 55 से ज्यादा क्षेत्रों में काम कर रहा है, जैसे खेती, मौसम, फसल की पैदावार, खाद्य सुरक्षा, पानी की सुरक्षा, टेली-एजुकेशन, और टेली-मेडिसिन। हम हर राज्य सरकार से उनकी जरूरतों के बारे में बात कर रहे हैं और उसी हिसाब से उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।

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प्रश्न : क्या उत्तर प्रदेश सरकार के साथ खेती के क्षेत्र में कोई सहयोग हो सकता है?

जवाब: मैं खेती का वैज्ञानिक नहीं हूं, लेकिन इसरो खेती में बहुत कुछ कर सकता है। हमारे सैटेलाइट डेटा से फसल की पैदावार का अनुमान लगाया जा सकता है और बीमा से जुड़े काम किए जा सकते हैं। जैसे, अगर कोई किसान कहता है कि उसकी फसल खराब हो गई, तो उसकी जांच के लिए खेत पर जाना पड़ता है, जिसमें समय लगता है। लेकिन सैटेलाइट डेटा से तुरंत पता चल सकता है कि नुकसान कितना हुआ। इसके अलावा, इसरो खाद्य सुरक्षा, पानी की सुरक्षा, टेलीकम्युनिकेशन, टेलीविजन, टेली-एजुकेशन, मौसम भविष्यवाणी, आपदा चेतावनी, और ट्रेनों को जोड़ने जैसे कई काम कर रहा है। अभी 8700 ट्रेनें रियल-टाइम में जुड़ी हैं। साथ ही, समुद्र में नावों को जोड़ने का काम भी चल रहा है। भारत के पास 7500 एकड़ समुद्री तट है, और हमारी जिम्मेदारी है कि तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा हो। हम एक नेविगेशन ऐप बना रहे हैं, जिससे मछुआरे समुद्र में अपनी सही जगह जान सकें और गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार न करें। यह ऐप अभी छोटे इलाके में काम कर रहा है और जल्द ही पूरे देश में फैलेगा।

प्रश्न : इसरो और किन-किन क्षेत्रों में मदद कर सकता है?

जवाब: इसरो रियल-टाइम में ट्रेनों की निगरानी कर रहा है, जिससे यात्रियों को बहुत फायदा हो रहा है। अभी 8700 ट्रेनें इससे जुड़ी हैं। इसके अलावा, गाड़ियों की निगरानी और वाहनों को ट्रैक करने में भी सैटेलाइट की मदद ली जा सकती है। पिछले चार महीनों में इसरो ने हर राज्य के अधिकारियों और विभागों जैसे खेती, पानी, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, शिक्षा, खनन और कौशल विकास से बात की है। इन चर्चाओं के आधार पर इसरो 10-15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेगा, जिसे प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।

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प्रश्न : अगर कोई राज्य मदद चाहे, तो इसरो क्या करेगा?

जवाब: आजकल अंतरिक्ष क्षेत्र बहुत अहम है। अगर कोई राज्य सरकार पहल करती है और अपनी जरूरत बताती है, तो इसरो उसकी मदद करने की पूरी कोशिश करेगा।

प्रश्न : इसरो के भविष्य के प्रोजेक्ट्स क्या हैं?

जवाब: इसरो कई बड़े काम कर रहा है। हाल ही में हमने एक विमान का टेस्ट किया। हम तीन मानव रहित मिशन की तैयारी कर रहे हैं। पहला मिशन इस साल दिसंबर में होगा, जिसमें वायुमित्र उड़ेगा। अगले साल दो और मानव रहित मिशन होंगे। इसके बाद 2027 की पहली तिमाही में मानव मिशन होगा।