कांग्रेस नेता की जेल में मौत के बाद जेलर हटाई गईं; दोषियों पर कार्रवाई की मांग पर अड़ा आदिवासी समाज, शव लेने से इनकार

इस घटना के बाद आदिवासी समाज और परिजन भारी नाराजगी के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध दर्ज कराया, और शव लेने से साफ इनकार कर दिया. समाज का कहना है कि जब तक दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.

परिवार और आदिवासी समाज के गंभीर आरोप
परिजनों का आरोप है कि जीवन ठाकुर को 12 अक्टूबर 2025 को जमीन विवाद के मामले में गिरफ्तार कर कांकेर जिला जेल में रखा गया था.
लेकिन 2 दिसंबर को बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें अचानक रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया. परिवार का कहना है कि न तो ट्रांसफर की जानकारी दी गई और न ही तबीयत बिगड़ने या अस्पताल में भर्ती होने की सूचना.
बताया जा रहा है कि 4 दिसंबर सुबह 4:20 बजे जीवन ठाकुर को डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा), रायपुर में भर्ती कराया गया, जहां सुबह 7:45 बजे उनकी मौत हो गई. चौंकाने वाली बात यह रही कि परिवार को इस गंभीर घटना की जानकारी शाम 5 बजे दी गई.
आदिवासी समाज ने आरोप लगाया है कि जेल प्रशासन ने अहम जानकारी छिपाई, तबीयत बिगड़ने पर समय पर इलाज नहीं दिया गया. बिना सूचना परिवार से छुपाकर रायपुर शिफ्ट किया गया. यह भी आरोप लगाया कि यह मौत संदिग्ध है और हत्या की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता.
जेल प्रशासन का बयान
रायपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक योगेश कुमार क्षत्री ने कहा कि जीवन ठाकुर को बीमारी के कारण रायपुर रेफर किया गया था और उनकी मौत इलाज के दौरान हुई है. उन्होंने कहा कि मामले की नियमानुसार दंडाधिकारी जांच कराई जाएगी.
आदिवासी समाज का अल्टीमेटम
कलेक्ट्रेट में जमा हुए समाज के प्रतिनिधियों ने साफ कहा- “जब तक पूरे प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक हम शव नहीं लेंगे और न ही अंतिम संस्कार करेंगे.”
बता दें, इस समय कलेक्ट्रेट, कांकेर और अस्पताल परिसर में भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है, और प्रशासन सतर्क है. चूंकि मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से बेहद संवेदनशील हो गया है, आगे की कार्रवाई पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है





