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केंद्रीय मंत्री पुरी ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के साथ भारत की मजबूत साझेदारी पर दिया जोर

अनादि अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, वियना: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के साथ भारत की मजबूत साझेदारी पर जोर दिया। साथ ही, ऑयल मार्केट को संतुलित रखने के तरीकों पर चर्चा की गई ताकि ग्रीन और वैकल्पिक ऊर्जा की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन सुचारू रूप से हो सके।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने 9वें ओपेक इंटरनेशनल सेमीनार में ओपेक महासचिव हैथम अल घैस से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हमने ओपेक के साथ भारत की मजबूत साझेदारी और यह सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा की कि ऑयल मार्केट संतुलित और पूर्वानुमानित रहें ताकि विशेष रूप से हाल की भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर ग्रीन और अलटर्नेटिव एनर्जी को लेकर ग्लोबल ट्रांजिशन सुचारू रूप से हो सके।”

उन्होंने बताया कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत और प्रमुख तेल उत्पादकों के समूह ओपेक के बीच एक अनोखा संबंध है। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के भारत के प्रयासों में तेजी आने के साथ ही हम अपने नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्यक्रमों को लागू करना जारी रखेंगे।

उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया, “प्रधानमंत्री की दूरदर्शी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को 10.3 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा क्लीन कुकिंग प्रोग्राम है।”

इससे ऊर्जा की पहुंच और जन स्वास्थ्य परिणामों, दोनों में सुधार हुआ है। इस तरह के समावेशी प्रयासों से भारत में एलपीजी कवरेज 2014 के 55 प्रतिशत से बढ़कर आज लगभग सार्वभौमिक पहुंच तक बढ़ गया है, जबकि भारत में पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए एलपीजी की कीमतें दुनिया भर में सबसे कम हैं।

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अतंरराष्ट्रीय एलपीजी कीमतों में 58 प्रतिशत की भारी वृद्धि के बावजूद, पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर के लिए केवल 6-7 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है, जो जुलाई 2023 में उनके द्वारा चुकाए गए 10-11 डॉलर से 39 प्रतिशत कम है।

केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि यह सरकारी समर्थन और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) द्वारा पिछले साल इन कीमतों को बनाए रखने के लिए उठाए गए 4.70 अरब डॉलर के घाटे के कारण संभव हो पाया है।