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कैसे हुई भगवान शिव के इस पंचाक्षरी मंत्र की उत्पत्ति

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है और उन मंत्रों में कुछ ऐसे भी हैं जो अनंत काल से साधना, भक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रकाशित करते आ रहे हैं। ऐसा ही एक मंत्र है – “ॐ नमः शिवाय”, जिसे पंचाक्षरी मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसकी उत्पत्ति, प्रयोग और प्रभाव का वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से किया गया है।आज हम आपको बताएंगे कि इस पंचाक्षरी मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई, इसका पौराणिक रहस्य क्या है और यह मंत्र हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है। साथ ही, 2 मिनट का एक खास वीडियो भी है, जिसमें इसकी कहानी को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

पंचाक्षरी मंत्र – नाम और अर्थ
“ॐ नमः शिवाय” पांच ध्वनियों – न, म, शि, वा, य से मिलकर बना है। इन पांच अक्षरों के कारण इसे ‘पंचाक्षरी’ मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र में “ॐ” को प्रणव मंत्र माना गया है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है।

“न” पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है,

“मा” जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है,

“शि” अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है,

“वा” वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और

“य” आकाश तत्व का संकेत देता है।

माना जाता है कि ब्रह्मांड इन पांच तत्वों से बना है और शिव स्वयं इन तत्वों के स्वामी माने जाते हैं

पौराणिक उत्पत्ति: शिव स्वयं पंचाक्षरी मंत्र के स्रोत बने
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पंचाक्षरी मंत्र की उत्पत्ति का उल्लेख यजुर्वेद और शिव पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंत्र स्वयं भगवान शिव ने अपने भक्तों को दिया था, ताकि वे मोक्ष, शांति और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त कर सकें।शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और शिव की श्रेष्ठता को लेकर ब्रह्मांड में विवाद उत्पन्न हो गया। तब ब्रह्मा और विष्णु ने शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए भगवान शिव की आराधना की। शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें यह पंचाक्षरी मंत्र दिया और कहा कि जो कोई भी भक्ति के साथ इसका जाप करेगा, उसे ब्रह्मज्ञान प्राप्त होगा।

पंचाक्षरी मंत्र का महत्व

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आध्यात्मिक शुद्धि:
पंचाक्षरी मंत्र के जाप से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है। यह मन को शांति प्रदान करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।

कालसर्प दोष और ग्रह दोष से मुक्ति:
ज्योतिषियों के अनुसार, पंचाक्षरी मंत्र के नियमित जाप से कालसर्प दोष, पितृ दोष, शनि दोष आदि से मुक्ति मिलती है।

ध्यान और साधना का मूल:
योग और ध्यान की परंपरा में, इस मंत्र के जाप से साधक को आत्मा और परमात्मा की एकता का अनुभव होता है।

शिव से साक्षात्कार:
कई साधक और ऋषि मानते हैं कि पंचाक्षरी मंत्र शिव तत्व से साक्षात्कार का मार्ग खोलता है।

दो मिनट का वीडियो: मंत्र का रहस्य, संक्षेप में
हमने एक विशेष 2 मिनट का वीडियो तैयार किया है, जिसमें इस मंत्र की उत्पत्ति, इसके पौराणिक रहस्य और महत्व को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।वीडियो में बताया गया है कि कैसे यह मंत्र न केवल भक्ति का साधन है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

कैसे करें जाप?

सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।

एक शांत जगह चुनें और आसन पर बैठें।

अपने मन को स्थिर करें और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

शुरुआत में 108 बार जाप करें।

आप चाहें तो रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष

पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” केवल एक मंत्र नहीं है, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक दर्शन है। यह मंत्र शिव की पूजा का मूल है, जो भक्त को आत्म-साक्षात्कार, संतुलन और शांति की ओर ले जाता है। यदि आप इसे प्रतिदिन भक्ति के साथ जपते हैं, तो न केवल आपके जीवन की बाधाएं दूर हो सकती हैं, बल्कि आपके भीतर की ऊर्जा भी जागृत हो सकती है।अब समय है शिव से जुड़ने का, उस आदियोगी के वचनों को अपने जीवन में उतारने का। तो आइए पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें और शिव के आशीर्वाद को अपने जीवन में आमंत्रित करें।

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