क्या बिहार में खिसकेगी नीतीश की जमीन या 2024 में बदलेगा गेम, आखिर क्या हैं इस नए उलटफेर के मायने
अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। बिहार में जिस तरह से एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी और जनता दल युनाइटेड के रिश्ते खत्म हो गए हैं उसके बाद बिहार की आगे की राजनीति क्या होगी इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जो दल बदलने से गुरेज नहीं रखते हैं। इससे पहले 2015 में भी नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन खत्म करके राजद और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था और महागठबंधन किया था। 2015 में महागठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जबकि राजद चीफ तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। लेकिन यह गठबंधन लंबा नहीं चला।
क्या है नीतीश की राजनीति का मंत्र राजद और कांग्रेस के साथ नीतीश कुमार का साथ लंबा नहीं चला। 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन खत्म कर दिया और भाजपा के साथ फिर से हाथ मिलाकर सरकार का गठन कर लिया। जिस तरह से बिहार की राजनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है उसके बाद नीतीश कुमार की राजनीति का मूल मंत्र क्या है और आखिर राजनीति में नीतीश किस तरह से अपनी रणनीति को तैयार करते हैं, आज हम इसे समझने की कोशिश करेंगे।
प्रदेश में अपना CM चाहेगी भाजपा कम सीटें होने के बाद भी भाजपा उन्हें गठबंधन में मुख्यमंत्री की कुर्सी देती आई है। ना सिर्फ भाजपा बल्कि राजद भी उन्हें मुख्यमंत्री की सीट देती आई है। भाजपा का इसके पीछे का मूल मंत्र यह था कि वह नीतीश कुमार की लोकप्रियता और जदयू के आधार पर अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहती थी और जमीनी ताकत बढ़ाना चाहती थी। लेकिन भाजपा इस नीति को लेकर लगातार काम कर रही है कि जल्द ही प्रदेश में उसका अपना मुख्यमंत्री हो।