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गलताजी टेम्पल के सात दिव्य कुंड और अखंड ज्योति का रहस्य आज भी बना रहस्य

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, ज्योतिष न्यूज़: राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास अरावली की पहाड़ियों में स्थित है एक चमत्कारी स्थल — गलताजी मंदिर, जिसे आमतौर पर “बंदरों का मंदिर” भी कहा जाता है। यह स्थान सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रहस्य, आस्था और प्रकृति के अद्भुत मेल का केंद्र है। यहां स्थित सात पवित्र जलकुंड, और 500 सालों से लगातार जलती अखंड ज्योति इसे एक अलौकिक महत्व प्रदान करते हैं, जो श्रद्धालुओं और शोधकर्ताओं दोनों को आकर्षित करता है।

गलताजी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

गलताजी मंदिर परिसर 16वीं शताब्दी में दीवान कृपाराम द्वारा बनवाया गया था, जो जयपुर राजघराने के एक प्रमुख व्यक्ति थे। हालांकि, इसकी आध्यात्मिक मान्यता इससे भी कहीं पुरानी है। कहा जाता है कि इस स्थान पर महर्षि गालव ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। इसी कारण यह स्थान “गलव ऋषि तीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है।यहां हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और पवित्र कुंडों में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इन कुंडों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सात रहस्यमयी कुंड — जल की अविरल धारा

गलताजी परिसर में कुल सात कुंड हैं, जिनमें से ‘गालव कुंड’ और ‘पवित्र कुंड’ सबसे प्रमुख माने जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ये सभी कुंड एक ऐसी प्राकृतिक जलधारा से जुड़े हैं, जो सालों भर बिना रुके बहती रहती है, जबकि यह इलाका शुष्क पहाड़ियों के बीच स्थित है।आज तक वैज्ञानिक भी इस रहस्य का स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए हैं कि आखिर इस पहाड़ी क्षेत्र में यह जल कैसे सतत रूप से बहता रहता है। यह रहस्य इसे एक ‘दिव्य जल स्रोत’ बनाता है।

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500 साल पुरानी अखंड ज्योति

गलताजी मंदिर में स्थित एक विशेष स्थान है, जहां पांच शताब्दियों से एक अखंड ज्योति निरंतर जल रही है। इस ज्योति को भक्तगण करुणा और शक्ति की प्रतीक मानते हैं। कहा जाता है कि यह ज्योति स्वयं करणी माता की कृपा से जली थी और तभी से कभी बुझी नहीं।इतने वर्षों तक बिना बुझी जलती रहना अपने आप में एक चमत्कारिक बात है। इसे श्रद्धालु ईश्वर की अपार कृपा मानते हैं और इस ज्योति के दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है।

क्यों कहलाता है बंदरों का मंदिर?

गलताजी को ‘बंदरों का मंदिर’ कहे जाने का प्रमुख कारण यहां हजारों की संख्या में रहने वाले बंदरों के झुंड हैं। खासतौर पर लंगूर और rhesus macaque प्रजाति के बंदर यहां आम तौर पर देखे जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ये बंदर भक्तों से ज्यादा डरते नहीं, बल्कि कई बार उनके साथ मिलकर मंदिर परिसर में विचरण करते हैं।स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, ये बंदर हनुमान जी के सेवक हैं और मंदिर परिसर की रक्षा करते हैं। इसलिए यहां के बंदरों को कोई हानि नहीं पहुंचाता और न ही इन्हें भगाया जाता है।

वास्तुशिल्प और प्राकृतिक सौंदर्य

गलताजी मंदिर का निर्माण राजस्थानी स्थापत्य कला में हुआ है, जिसमें सुंदर नक्काशीदार खंभे, शिखर और छतरियां शामिल हैं। यह पूरी संरचना अरावली की घाटियों में इस तरह से समाहित है कि प्रकृति और निर्माण एक-दूसरे को पूरक लगते हैं। मंदिर के चारों ओर हरे-भरे वृक्ष, प्राकृतिक जलधाराएं और घाटी का अद्भुत दृश्य मन को शांत करता है।

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आध्यात्मिक अनुभव और पर्यटन केंद्र

गलताजी न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बन चुका है। देश-विदेश से पर्यटक यहां प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और अध्यात्म का संगम देखने आते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों से गुजरना पड़ता है, जो स्वयं एक रोमांचकारी अनुभव होता है।