अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली : आधिकारिक बयान के अनुसार, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ 5 से 7 जून तक चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान, उपराष्ट्रपति हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ भी बातचीत करेंगे ।डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय , सोलन की स्थापना 1 दिसंबर 1985 को बागवानी, वानिकी और संबद्ध विषयों के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।बुधवार को जगदीप धनखड़ ने महाराष्ट्र के मुंबई में एक दिन बिताया। अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) के 65वें और 66वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की।
इससे पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को इस बात पर जोर देते हुए कि भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वदेशी ताकत की जरूरत है, कहा कि ताकतवर स्थिति में युद्ध से बचना ही बेहतर है।
राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम-फेज 7 के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय कल्याण के बारे में लोगों की मानसिकता को बड़े पैमाने पर बदल दिया है। उन्होंने कहा, “हम पहले से कहीं ज़्यादा राष्ट्रवादी हैं।”
उन्होंने कहा, “हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी मानसिकता को पूरी तरह बदल दिया है। हम पहले से कहीं अधिक राष्ट्रवादी हो गए हैं। यह बात उन प्रतिनिधिमंडलों में सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी से भी झलकती है जो शांति और आतंकवाद के प्रति हमारी पूर्ण असहिष्णुता का संदेश देने के लिए विदेश गए हैं। इसलिए, हाल की घटनाओं को देखते हुए, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हमारे पास एकजुट रहने और मजबूत होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
उन्होंने कहा, “संस्थाओं की तरह ही राजनीतिक समूहों का भी राष्ट्रीय हितों के प्रति नैतिक कर्तव्य है, क्योंकि आखिरकार सभी संस्थाओं, विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका का केंद्र बिंदु राष्ट्रीय विकास, राष्ट्रीय कल्याण, जन कल्याण है, ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी पैदा हो सके। राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक प्रगति के मुद्दों पर सभी गुटों को राष्ट्रीय हित को दलीय प्राथमिकताओं से ऊपर रखना चाहिए। मैं राजनीतिक स्पेक्ट्रम में सभी से गंभीरता से विचार करने और निष्कर्ष निकालने की अपील करूंगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास के मुद्दों, हमारी आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर आम सहमति होनी चाहिए। कभी-कभी राजनीति राष्ट्रवाद और सुरक्षा के लिए बहुत अधिक गर्म हो जाती है, जिस पर हमें काबू पाने की जरूरत है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तकनीकी प्रगति और हथियारों की ताकत भी राष्ट्रीय ताकत में योगदान करती है। “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमें स्वदेशी ताकत की आवश्यकता है। युद्ध को ताकत की स्थिति में टाला जाना सबसे अच्छा है। शांति तभी सुरक्षित होती है जब आप युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहते हैं… ताकत तकनीकी कौशल, पारंपरिक हथियारों की ताकत के अलावा लोगों से भी आती है।” (एएनआई)