अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, जशपुर। जिले के जंगलों में पाए जाने वाले बेशकीमती चिरौंजी बेचकर ग्रामीण लाखों रुपए कमा रहे हैं। क्षेत्र के किसान अब चिरौंजी बेचकर आय का अच्छा स्त्रोत बना रहे हैं। महज डेढ़ महीने तक ही पेड़ में रहने वाला चिरौंजी किसानों को मालामाल कर रहा है। बता दें कि, मई के अंतिम महीने तक पेड़ में फल लगा रहता है। इसके बाद इसका फल झड़ कर खत्म हो जाता है। इन डेढ़ महीनों में किसान पेड़ पर लगी चिरौंजी तोड़कर अपनी आमदनी का प्रमुख जरिया बना चुके हैं। अंदरुनी व पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार के लिए आय का बेहतर साधन बन गया है। इससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है।
जशपुर के जंगलों में बेशकीमती चिरौंजी बाजार में 200 से शुरु होकर 300 रुपये किलो तक बिक रहा है। दाम ज्यादा मिलने से जंगल में चिरौंजी तोड़ने ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जशपुर जिले के चिरौंजी के दाने का दूसरे राज्यों व शहरों में सबसे ज्यादा डिमांड है। इनके बीज उड़ीसा, कानपुर, बैंगलोर, कलकत्ता, नागपुर, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में अधिक जाता है। इन शहरों में चिरौंजी के बीज 3500 से 4 हजार रुपए तक बिकता है। इसे मशीन में अच्छी तरह से सफाई कर उत्पाद तैयार किया जाता है।
इसके पौधे तैयार होने में करीब 5 साल लग जाते हैं। इस साल बेमौसम बारिश व ओलावृिट के कारण इनके फूल झड़ गए। इससे उत्पादन में कमी आई है। एक पेड़ में 10 किलो तक बीज निकलता है। काफी परिश्रम के बाद चार के बीज निकाला जाता है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि, चिरौंजी को आम बोलचाल में चार(चिरौंजी) कहते है। जशपुर जिले में यह बहुयात मात्रा में पाई जाती है। इसकी सबसे ज्यादा कानपुर, बैंगलोर, नागपुर में डिमांड रहती है, लेकिन गांव के भोले-भाले नासमझ ग्रामीण इसे सेठ व्यापारियों को औने-पौने दामो में खरीदकर बड़े शहरों में महंगे कीमत पर बेचकर मालामाल होते है। यह फसल अंदरूनी और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण साधन है।