अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, भिलाई। देश के प्रथम अभिव्यक्ति गढ़ के रूप में प्रसिद्ध भोपाल के भारत भवन की 43 वीं वर्षगांठ पर भिलाई के साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने विशेष उपस्थिति दी। यहां उन्हें देश-दुनिया की अनेक कला-संस्कृति विधाओं से रूबरू होने का अवसर मिला।
आचार्य डॉ.शर्मा ने बताया कि उन्हें तब अधिक खुशी और गौरव हुआ कि यहॉं भी छत्तीसगढ़ छाया हुआ है। छत्तीसगढ़ स्टेट अवार्डी छाई बाई झारा के साथ उनकी टीम में ओनामा झारा, कृष्ण झारा, देवना झारा एवं दयालाल झारा आदि लोगों को पीतल स्टिंग सिखा रहे हैं। मिट्टी-पीतल की मूर्ति बनाने वाले ये कलाकार रायगढ़ जिले से हैं। आचार्य डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने सबसे मिलकर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा यहां निमाड़ी, बुंदेली और बघेली के साथ छत्तीसगढ़ी लोकगीतों और लोकनृत्यों का मंचीय प्रदर्शन भी देखा। प्रसिद्ध लेखक अक्षय गुप्ता ने बताया कि पुराण गाथाएं माइथोलॉजी नहीं सत्यलॉजी हैं। यहां सातवें लिटरेचर एवं आर्ट फेस्टिवल के 60 सत्रों में अर्थशास्त्रियों, इतिहासविदों, पर्यावरणविदों और कलाकारों से साहित्यकारों ने संवाद किये। कालिदास के ‘ऋतु संहार’ पर आधारित नाटक संवत्सर कथा की प्रस्तुति पियाल भट्टाचार्य के निर्देशन में हुई।
देश-विदेश अनेकानेक सफल शैक्षणिक भ्रमण कर चुके आचार्य डॉ.शर्मा ने बताया कि रवीन्द्र भवन,हिंदी भवन और संस्कार भारती आदि में रोचक रंगमंचीय कार्यक्रम लगातार देखे। कालिदास ,आद्य शंकराचार्य, आनन्द मठ और स्वामी विवेकानन्द पर एकाग्र फिल्में भी रोचक और ज्ञानवर्धक थीं। धर्मवीर भारती की कालजयी कृति ‘अन्धा युग’ का सफल मंचन रवीन्द्र भवन में किया गया। बालेन्द्र सिंह का निर्देशन और प्रायः सभी पात्रों का अभिनय सराहनीय रहा। इसी क्रम में रंग बैलेट्रुप द्वारा डॉ.रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कृति ‘रश्मि रथी’ पर आधारित मृत्युंजय कर्ण का मंचन भी सराहनीय रहा। डॉ.दिनकर की कृति संस्कृति के चार अध्याय से प्रेरित होकर डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने संस्कृति के चार सोपान कृति की रचना की।