अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, विज्ञान। खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह सप्ताहांत खास होने वाला है। रविवार, 7 सितंबर को आसमान में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिलेगा, जिसका न केवल वैज्ञानिक बल्कि आम लोग भी इंतज़ार कर रहे हैं। इस दौरान चंद्र ग्रहण होगा और आसमान में चंद्रमा लाल दिखाई देगा। सितंबर में होने वाले इस ग्रहण को कॉर्न मून नाम दिया गया है।
22 सितंबर को विषुव (खगोलीय घटना) के सबसे करीब आने वाले पूर्णिमा को पारंपरिक रूप से हार्वेस्ट मून कहा जाता है। सितंबर पूर्णिमा के अन्य नामों में वाइन मून, सॉन्ग मून और बार्ली मून शामिल हैं। दुनिया के एक बड़े हिस्से में, खासकर अमेरिकी देशों और कनाडा में, इसे वाबाबागा गिजिस यानी बदलते पत्तों वाला चाँद कहा जाता है।
इन देशों में चंद्र ग्रहण
इस साल का कॉर्न मून दुनिया के कुछ हिस्सों में दर्शकों के लिए पूर्ण चंद्र ग्रहण है। ब्लड मून ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में 82 मिनट तक दिखाई देगा। यह 8 नवंबर, 2022 के बाद से सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। यह उत्तरी अमेरिका में 14 मार्च, 2025 को 65 मिनट तक देखे गए पूर्ण चंद्रग्रहण के समान होगा।
इस पूर्णिमा को बिना किसी प्रकाशीय उपकरण के देखा जा सकता है। यदि चंद्रोदय के दौरान देखा जाए, तो दूरबीन से चंद्र सतह पर वे विवरण दिखाई दे सकते हैं जो नंगी आँखों से दिखाई नहीं देते। जैसे-जैसे पूर्णिमा बढ़ती है, उसकी चमक काफ़ी बढ़ जाती है। इससे चंद्रमा को सीधे देखना मुश्किल हो जाता है।
ब्लड मून क्यों होता है?
ब्लड मून पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच आ जाती है। चंद्रमा को पूर्ण अंधकार में डुबोने के बजाय, पृथ्वी का वायुमंडल मुड़ जाता है और सूर्य के प्रकाश को बिखेर देता है। नीले और बैंगनी जैसे छोटे तरंगदैर्ध्य बिखर जाते हैं। जबकि लाल और नारंगी जैसे लंबे तरंगदैर्ध्य वायुमंडल से होकर चंद्रमा की सतह तक पहुँचते हैं। इस बिखरे हुए लाल प्रकाश के कारण, चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है।