अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली : नामीबियाई संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण ने अफ्रीका के लिए भारत को एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि साझा विकास, समानता और डिजिटल परिवर्तन में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित किया।
हम प्रतिस्पर्धा के पक्ष में नहीं हैं, हम पूरक सहयोग करने का प्रयास करते हैं। हमारा उद्देश्य मिलकर निर्माण करना है। साथ मिलकर विकास करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अफ्रीका में हमारी विकास साझेदारी 12 अरब डॉलर से अधिक की है, इसका वास्तविक मूल्य साझा विकास और साझा उद्देश्य में निहित है। प्रधानमंत्री के ये शब्द अन्य देशों, विशेषकर चीन के साथ भारत के स्थापित स्वरूपों के बिल्कुल विपरीत हैं।
मोदी ने कहा, “हमारा मानना है कि अफ्रीका केवल कच्चे माल का स्रोत नहीं होना चाहिए। अफ्रीका को मूल्य सृजन और सतत विकास में अग्रणी होना चाहिए। इसीलिए हम औद्योगीकरण के लिए अफ्रीका के एजेंडा 2063 का पूर्ण समर्थन करते हैं।”
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत विश्व मामलों में अफ्रीका की भूमिका का सम्मान करता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को शक्ति और प्रभुत्व से नहीं, बल्कि साझेदारी और संवाद से परिभाषित भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
हमें मिलकर काम करना चाहिए। आइए हम एक ऐसा भविष्य बनाएँ जो शक्ति से नहीं, बल्कि साझेदारी से परिभाषित हो। प्रभुत्व से नहीं, बल्कि संवाद से। बहिष्कार से नहीं, बल्कि समावेशी समानता से। यही हमारे साझा दृष्टिकोण की भावना है। हमारे बच्चों को न केवल वह आज़ादी विरासत में मिले जिसके लिए हमने संघर्ष किया, बल्कि वह भविष्य भी मिले जिसका निर्माण हम मिलकर करते हैं, उन्होंने नामीबियाई संसद में लोगों की सराहना करते हुए कहा।