अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, विज्ञान: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार (27 जुलाई, 2025) को बताया कि भारत और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों, इसरो और नासा द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित पहला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (निसार) अब 30 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा। यह उपग्रह भूमि की सतह, समुद्र, बर्फ और जंगलों में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखेगा।
निसार मिशन प्रक्षेपण तिथि और स्थान
निसार को 30 जुलाई को शाम 5:40 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।
निसार मिशन क्या है?
निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) इसरो और नासा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक उन्नत उपग्रह मिशन है। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह, बर्फ, जंगलों और महासागरों में होने वाले परिवर्तनों को सटीक रूप से मापने में मदद करेगा। यह उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा, जिससे वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और पिघलते ग्लेशियरों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन कर सकेंगे। इसके डेटा का उपयोग कृषि, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में भी किया जाएगा। प्रक्षेपण के बाद इसे स्थापित होने में 90 दिन लगेंगे, फिर यह काम करना शुरू कर देगा।
निसार मिशन का उद्देश्य क्या है?
1. ज़मीन और बर्फ की गति को मापना।
2. फसलों और जंगलों में हो रहे परिवर्तनों को समझना।
3. हिमालय, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ का अध्ययन करना।
4. भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और भूजल स्तर में बदलाव का विश्लेषण करना।
दोनों देशों की ज़िम्मेदारी बढ़ी
1. इसरो ने एस-बैंड रडार, उपग्रह अवसंरचना, डेटा सिस्टम और प्रक्षेपण विकसित किया है।
2. नासा ने एल-बैंड रडार, जीपीएस रिसीवर, सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर और 12 मीटर चौड़े रिफ्लेक्टर के लिए 9 मीटर का बूम बनाया है।
3. प्रक्षेपण के बाद के पहले 90 दिनों को ‘कमीशनिंग चरण’ कहा जाएगा, जिसके दौरान सभी उपकरणों की जाँच और स्थापना की जाएगी।
निसार मिशन का क्या महत्व है?
इसरो के अनुसार, यह मिशन पृथ्वी अवलोकन तकनीक में मील का पत्थर साबित होगा। वैज्ञानिकों को एक ही मंच से दो अलग-अलग रडार तकनीकों का डेटा मिलेगा, जिससे पर्यावरण और जलवायु में हो रहे बदलावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।