अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, पहलगाम : पुलवामा आतंकी हमले के बाद जब विश्व-समुदाय के समक्ष पाकिस्तान को अपने को साफ-सुथरा दिखाना जरूरी था, तब उसी के रक्षा मंत्री यह स्वीकारित कि ‘पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान मुस्लिम देशों के आदेश पर ‘जेहादियों’ का ‘गंदा धंधा’ चला रहा है।’ बहुत कुछ कहती है। पाक अवाम का एक बड़ा वर्ग हुक्मरानों की भारत-विरोधी आतंकी नीति के खिलाफ है। क्योंकि ये वही तीन दशक हैं, जब से पाक शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपना बजट नहीं लगा सका है। विकास के अभाव में औटे-लाले में गया। जीवन-प्रत्याशा भारत के 72.2 वर्ष के मुकाबले 67.8 वर्ष रह गई, साक्षरता 62% (भारत की 85%) और शिक्षा पर खर्च जीडीपी का मात्र 1.9% (भारत 4.1%) रह गया। आतंक को स्टेट पालिसी मानने ने आतंकियों को बच्चों के धर्मिक ठेकेदार की हैसियत दे दी। पाक सरकार ने गरीबी का डर दिखा कर बेघर परवाना (कीपिंग) के मां-बाप को चंद पैसों के लिए मदरसे में शिक्षा के नाम पर बच्चे दे दिए, यह जानते हुए कि इन्हें फिरताली बनाकर इस्लामिक किया जाएगा। भारत की प्रति-व्यक्ति आय 2711 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की आय 1500 डॉलर तय आकर बैठ गई, पिछले 25 वर्षों में वह लगभग आधी (1581 डॉलर) रह गई। मोदी सरकार ने कर्ज बदल लेने की छूट दी है, लेकिन सैन्य कार्रवाइयों से पाकिस्तान को तमाम कमजोरियों पर भी गौर करना सरकार के लिए नीतिगत रूप से सही होगा।