अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, रायपुर। सरस्वती नगर थाना क्षेत्र में एक किरायेदार नितिन कृष्णानी की दुकान पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा करने का मामला सामने आया है। पीड़ित का आरोप है कि एक भू-माफिया ने रविवार रात दुकान की पीछे की दीवार तोड़कर अंदर घुसपैठ की और शटर को वेल्ड करवा दिया। यह घटना सरस्वती नगर थाने से महज कुछ कदम की दूरी पर हुई। नितिन कृष्णानी ने सरस्वती नगर थाने में जाकर FIR दर्ज कराने की मांग की, जहां सिंधी समाज के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी भी पहुंचे थे। पीड़ित के अनुसार जमीन दलाल ने उनके ऑफिस में घुसकर लाखों रुपयों की चोरी की ऐसा आरोप भी लगाया है। घटना की CCTV फुटेज भी मौजूद है। इसके बावजूद थाना प्रभारी ने केस दर्ज करने से मना कर दिया और मामला अदालत को सौंप दिया। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बिना वैध प्रक्रिया के दुकान खाली कराना, अतिक्रमण और चोरी जैसे अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले से पुलिस की निष्क्रियता और भू-माफिया के प्रभाव को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
घटना का विवरण: दीवार तोड़कर की गई जबरदस्ती घुसपैठ
घटना सरस्वती नगर थाना क्षेत्र की है, जहां एक जमीन दलाल जिसकी पहचान ‘दुबे’ नामक व्यक्ति के रूप में सामने आई है, पर आरोप है कि उसने एक किरायेदार की दुकान में जबरन घुसपैठ की। पीड़ित नितिन कृष्णानी का कहना है कि वह इस जगह पर पिछले कई वर्षों से वैध रूप से दुकान चला रहे हैं। बीते रविवार की रात दलाल द्वारा दुकान की पीछे की दीवार में सेंध लगाई गई और अवैध रूप से दुकान के अंदर घुसकर शटर को वेल्डिंग से बंद करवा दिया गया। इस पूरी घटना का वीडियो दुकान में लगे CCTV कैमरों में रिकॉर्ड हुआ है। पीड़ित के पास वीडियो फुटेज सहित अन्य सबूत भी मौजूद हैं, जिन्हें उसने पुलिस के समक्ष प्रस्तुत किया।
थाने से कुछ कदम की दूरी पर घटना, फिर भी कार्रवाई नहीं
आश्चर्यजनक बात यह है कि यह पूरी वारदात सरस्वती नगर थाने से महज़ कुछ कदम की दूरी पर घटित हुई। इसके बावजूद थाना प्रभारी रविंद्र कुमार ने FIR दर्ज करने से मना कर दिया। पीड़ित नितिन कृष्णानी ने जब शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने का रुख किया तो सिंधी समाज के कई वरिष्ठ सदस्य उनके समर्थन में थाने पहुंचे। इतना ही नहीं, उत्तर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री चंद सुंदरानी भी थाने पहुंचे और मामले को गंभीरता से देखने की अपील की।
पुलिस की प्रतिक्रिया: “कोई अपराध नहीं बनता”
थाना प्रभारी रविंद्र कुमार का कहना है कि इस मामले में कोई अपराध नहीं बनता और इसे न्यायालय को सौंप दिया गया है। उन्होंने FIR दर्ज करने से मना करते हुए कहा कि मामला दीवानी प्रकृति का है, इसलिए इसमें पुलिस हस्तक्षेप नहीं करेगी।
कानूनी दृष्टिकोण से मामला गंभीर
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि बिना किसी वैध प्रक्रिया के किसी दुकान में जबरन घुसना, संपत्ति में सेंध लगाना और किरायेदार को बलपूर्वक बेदखल करना गंभीर आपराधिक कृत्य हैं। ऐसे मामलों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 329 (गैरकानूनी प्रवेश), धारा 314 (संपत्ति को नुकसान), और यहां तक कि डकैती और जबरन कब्जा जैसे अपराधों के रूप में दर्ज किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति सालों से किसी जगह पर किरायेदार के रूप में मौजूद है और उसका व्यवसाय वहां से चल रहा है, तो उसे बेदखल करने के लिए अदालत का आदेश या वैध नोटिस आवश्यक होता है। दीवार तोड़कर घुसपैठ करना न सिर्फ आपराधिक अतिक्रमण है बल्कि यह निजी सुरक्षा के अधिकार का भी उल्लंघन है।
पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप
इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। पीड़ित और उनके समर्थकों का कहना है कि जब CCTV फुटेज जैसा स्पष्ट सबूत मौजूद है, तो पुलिस द्वारा FIR से इंकार करना समझ से परे है। आरोप यह भी है कि दलाल के प्रभाव और संभावित दबाव के कारण पुलिस इस मामले में निष्क्रिय बनी हुई है। स्थानीय लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब रायपुर जैसे शहरों में कानून का स्थान प्रभावशाली दलालों ने ले लिया है? क्या आम जनता को इंसाफ पाने के लिए पहले रसूखदारों से टकराना पड़ेगा?
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
सिंधी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि एक वैध रूप से व्यवसाय कर रहा व्यक्ति सुरक्षित नहीं है और पुलिस उसकी शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं करती, तो यह पूरे समाज के लिए एक गलत संदेश है। उन्होंने मांग की है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पूर्व विधायक श्री चंद सुंदरानी ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन से उचित हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे नागरिक तंत्र की चिंता का विषय बन जाती हैं।
सिस्टम पर गहरा सवाल
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि पुलिस आम लोगों की शिकायत पर निष्पक्षता से कार्रवाई नहीं करती, तो न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्न उठते हैं बल्कि यह नागरिक अधिकारों के लिए भी खतरे की घंटी है। इस घटना में जो सबसे चिंताजनक बात सामने आई है वह यह है कि थाने से कुछ ही दूरी पर अवैध रूप से दीवार तोड़कर दुकान कब्ज़ा कर लिया गया और पुलिस ने इसे ‘अपराध नहीं’ कहकर पल्ला झाड़ लिया। क्या अब न्यायालय की प्रक्रिया को दरकिनार कर केवल दबाव और दादागिरी के बल पर किसी की संपत्ति पर कब्जा करना सामान्य बात हो गई है? क्या पुलिस अब न्यायालय की तरह फ़ैसला सुनाने लगी है?
भविष्य की कार्रवाई और जांच की मांग
इस मामले में अब समाज और कानूनी क्षेत्र के लोगों की मांग है कि: CCTV फुटेज की निष्पक्ष जांच की जाए। एफआईआर दर्ज कर उचित धाराओं में केस दर्ज किया जाए। पुलिस की निष्क्रियता की भी विभागीय जांच हो। जमीन दलाल की भूमिका और उसके कथित रसूख की भी जांच की जाए कि कहीं वह किसी राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण में तो नहीं है।