अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, रायपुर। ’’गृहे गृहे गायत्री यज्ञ’’ एक अभियान है जो अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा घर-घर गायत्री मंत्र और हवन के माध्यम से देश और दुनिया में शांति और समृद्धि लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। यह अभियान विश्व स्तर पर लाखों घरों में एक साथ व एक समय में यज्ञ कार्यक्रम के साथ संपन्न होता है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में 11 (रविवार अवकाश का दिन होने के कारण) एवं 12 मई (बुद्ध पूर्णिमा) को देश के 24 लाख घरों में यज्ञ कराने का विराट लक्ष्य रखा गया है। गायत्री परिजन अपने क्षेत्र के घरों, कॉलोनियों, ग्रामों, कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं में जाकर एक तय समय में गायत्री यज्ञ करवायेंगे। गायत्री मंत्र और हवन के माध्यम से घर-घर में देव परिवार का निर्माण करवाने के इस अभियान की तैयारी में गायत्री परिजन पूर्व से ही जुट गये है।
इस यज्ञ के माध्यम से लोगों में संस्कार एवं आध्यात्मिक विकास को जगाया जायेगा। यज्ञ के महत्व के बारे में जागरूक किया जायेगा। यज्ञ का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र को समर्थ व शक्तिशाली बानाना, आध्यात्मिक नवजागरण से सूक्ष्म जगत का शोधन, विश्व में शांति स्थापित करने एवं भारत को विश्वपटल पर पुनः जगद्गुरु के रुप में स्थापित करना है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गायत्री परिवार के सदस्यों द्वारा विगत एक सप्ताह से घर-घर संपर्क किया जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी जन-जन तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है। यज्ञ हेतु यज्ञ सामग्री की किट तैयार की गई है जिसे स्थानीय शक्ति पीठ से लेकर यह यज्ञ स्वयं भी कर सकते है।
छत्तीसगढ़ गायत्री परिवार की जोन समन्वयक श्रीमती आदर्श वर्मा एवं गायत्री शक्ति पीठ समता कॉलोनी के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी श्याम बैस ने संयुक्त रुप से बताया कि इन दिनों पूरे विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। चारो ओर देवासुर संग्राम के बीच आध्यात्मिक चेतना का उभार स्पष्ट दिखाई देने लगा है। गायत्री और यज्ञ हमारी संस्कृति के माता- पिता हैं। मां गायत्री हमें जीवन जीने का दर्शन (सिद्धांत) सिखाती हैं और भगवान यज्ञ हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। यह ज्ञान और कर्म रूपी जीवन रथ के दो पहिये हैं। आज दुनिया बदल रही है। केवल दृश्य जगत में ही परिवर्तन दिखाई नही देता, बल्कि सामान्य से लेकर वरिष्ठों, विशिष्टों, मूर्धन्यों, वैज्ञानिकों की आस्थाओं में भी बड़ी तेजी से परिवर्तन आ रहा है। युग परिवर्तन की इस बेला में लोगों के पास साधन भरे पड़े हैं, पर उनमें साधना का अभाव है। इसी कारण ज्ञान, धन और शक्ति मिलकर भी सुख-शांति और संतुष्टि प्रदान नहीं कर पा रहे है। आसुरी शक्ति के विनास, स्थायी सुख-शांति और संतुष्टि के लिए गायत्री और यज्ञमय जीवन की आवश्यकता आन पड़ी है। वेदमाता, देवमाता और विश्वमाता गायत्री की उपासना त्याग, परोपकर, संगठन और दिव्य जीवन की प्रेरणा देती है। यज्ञ का आयोजन विश्व की सुख-शांति के लिए आवश्यक हो गया है। पूरे विश्व में करोड़ों लोग मिलकर घर-घर यज्ञ करने जा रहे हैं । यह सामूहिक अनुष्ठान विश्व में नए परिवर्तन का आधार बनेगा। इस वर्ष छत्तीसगढ़ में एक लाख इन्कावन हजार घरों में यह यज्ञ करने का लक्ष्य रखा गया है।