अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रशासन

बोधघाट परियोजना से बस्तर में खुशहाली, गरीब किसान बनेंगे लखपति

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, बस्तर। बस्तर संभाग लंबे समय से नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है, जिससे सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। यहां कुल बोये गए क्षेत्र 8.15 लाख हेक्टेयर में से केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई सुविधाएं विकसित हो पाई हैं। बस्तर शांति और विकास की ओर द्रुत गति से बढ़ रहा है। ऐसे में बोधघाट सिंचाई परियोजना पूरे बस्तर में कृषि विकास और रोजगार को बढ़ाने में मदद करेंगी।

बोधघाट परियोजना के बारे में जानिए

बोधघाट परियोजना बस्तर की इंद्रावती नदी पर आधारित एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसकी शुरुआत 1980 में हुई थी। इसका प्रारंभिक उद्देश्य बिजली उत्पादन था, लेकिन बाद में इसमें सिंचाई को भी शामिल किया गया। इस परियोजना का लक्ष्य दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा और मुंगेली जैसे जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करना है। इसके अलावा, इससे हाइड्रो पावर के माध्यम से बिजली उत्पादन भी किया जाएगा।

1979 में हुआ था शिलान्यास

बता दें कि गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इन्द्रावती नदी पर बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना प्रस्तावित है। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 किमी में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड व तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से करीब 8 किमी व जगदलपुर शहर से करीब 100 किमी दूरी पर प्रस्तावित है। बोधघाट बांध परियोजना का शिलान्यास 21 जनवरी 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने किया था।

परियोजना ठप होने की वजह ये थी

हालांकि, 1980 में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए वन संरक्षण अधिनियम के कारण परियोजना को नए सिरे से अनुमति लेनी पड़ी। 1985 में एक बार फिर भारत सरकार से स्वीकृति मिली, लेकिन तब तक बस्तर में नक्सलवाद का उभार शुरू हो चुका था। इसके साथ ही स्थानीय ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके चलते यह परियोजना ठप हो गई।

See also  महावीर जयंती के अवसर पर रायपुर में कल मांस-मटन की दुकानें बंद रहेगी

परियोजना से लाभ
बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा में 65.73%, सुकमा में 60.59% और बीजापुर में 68.72% सिंचाई रकबा बढ़ेगा। परियोजना से दंतेवाड़ा के 151, सुकमा के 90 और बीजापुर के 218 गांवों सहित कुल 359 गांवों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। परियोजना के लिए 13,783.147 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी, जिसमें 5,704.332 हेक्टेयर वन भूमि, 5,010.287 हेक्टेयर निजी भूमि और 3,068.528 हेक्टेयर सरकारी जमीन शामिल है।

सीएम साय की पहल से तैयारियां शुरू

सीएम साय ने PM मोदी से बोधघाट परियोजना के बारे में चर्चा की। PM ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी और केंद्रीय सिंचाई मंत्री के सामने इसका प्रेजेंटेशन देने का सुझाव दिया। सरकार का मानना है कि बस्तर सहित आधे छत्तीसगढ़ में सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी और 125 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। साथ ही, महानदी से जोड़ने के कारण छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि बस्तर क्षेत्र के चहुमुखी विकास के लिए बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना निर्णायक परियोजना साबित होगी। यह परियोजना, लंबे समय से इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। इंद्रावती, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक नदी है। गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1980 के अवॉर्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ इस परियोजना का उल्लेख है। इस अवॉर्ड में उल्लेखित अन्य परियोजनाओं का क्रियान्वयन दूसरे राज्यों द्वारा किया जा चुका है परंतु दूरस्थ अंचल में होने एवं नक्सल समस्या के कारण इस परियोजना को प्रारंभ नहीं किया जा सका।

बस्तर के विकास की रफ्तार होगी डबल
बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना से संभाग में सिंचाई साधनों का दायरा बढ़ने के साथ ही बस्तर के विकास को डबल रफ्तार मिलेगी। इस परियोजना से 125 मेगावाट का विद्युत् उत्पादन, 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार, खरीफ एवं रबी मिलाकर 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई विस्तार एवं 49 मि.घ.मी पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगा। वही इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले की भी 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। बस्तर को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

See also  शासकीय विभागों में बड़े पैमाने पर रिक्त पदों पर शीघ्र की जाएगी भर्ती: CM

क्या है बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना?

बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 कि. मी. में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 कि.मी. एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 कि. मी. दूरी पर प्रस्तावित है।