पनडुब्बी उत्पादन में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा की बराबरी पर भारत
अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, गुजरात। ‘आत्मनिर्भर भारत’ परियोजना के तहत दाहोद में 9000 एचपी के इंजन के उद्घाटन के बाद अब गुजरात का पंचमहल भी देश के विकास में भागीदार बनने जा रहा है। आने वाले समय में यहां नौसेना में इस्तेमाल होने वाली ऑटोनॉमस अंडरवॉटर व्हीकल्स (A.U.V.) मानवरहित पनडुब्बी का निर्माण होगा। इस परियोजना से देश में पनडुब्बी निर्माण के नए दरवाजे खुल जाएंगे। भारत अब पनडुब्बी उत्पादन में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में शामिल हो जाएगा। समुद्री परीक्षणों के बाद पनडुब्बी नौसेना को सौंपी जाएगी।
यह पनडुब्बी सतह से 300 मिटेर गहराई में जाकर 45 दिनों तक काम करने की क्षमता रखती है। इसका कुल वजन 10-12 तन तक हो सकता है। इसे बनाने में करीब 18 महीनों का समय लगेगा। इसके बाद इसे नौसेना को दे दिया जायेगा।
विभिन्न मिशन के अनुसार समुद्र में काम करेगी
हलोल स्थित कृष्णा डिफेंस कंपनी में बनने वाली पनडुब्बी हाई टेंसिल और हाई हार्डनेस नेवल स्टील से बनेगी। पनडुब्बी 45 दिनों तक पानी के अंदर रह सकेगी। यह मिशन के अनुसार समुद्र में अलग-अलग रूट पर काम करेगी। पनडुब्बी का इस्तेमाल भारत के समुद्र की सुरक्षा के लिए ख़ुफ़िया निगरानी और टोही मिशन जैसे विभिन्न मिशनों के लिए किया जायेगा। 10-20 टन वजनी यह पनडुब्बी पूरी तरह से मानव रहित होगी, जो रक्षा क्षेत्र के अलावा तेल-गैस अन्वेषण के लिए उपयोगी होगी।
निर्माण कार्य की वाइस एडमिरल ने की पूजा-अर्चना
पनडुब्बी निर्माण कार्य की शुरुआत 10 जून को हलोल इकाई में भारतीय नौसेन के वॉइस एडमिरल आर स्वामीनाथन ने पूरा-अर्चना के साथ की। काम की शुरुआत प्लेट कटिंग समारोह से हुई।
- पनडुब्बी का पतवार ढांचा कंपनी में बनाया जायेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और कण्ट्रोल दूसरी कंपनियां तैयार करेंगी। हलोल में इसे अंतिम रूप दिया जायेगा। तैयार होने के बाद समुद्री परीक्षण किये जायेंगे और फिर नौसेना को सौंप दिए जायेंगे।