अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद को बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना (508 किलोमीटर) पर काम जोरों पर है, जिसमें 406 किलोमीटर में नींव का काम पूरा हो चुका है और 127 किलोमीटर लंबे पुल पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो चुका है।परियोजना के अन्य प्रमुख कार्य जो पूरे हो चुके हैं, उनमें 395 किलोमीटर में खंभे और 300 किलोमीटर से अधिक में गर्डर कास्टिंग और गर्डर लॉन्चिंग शामिल हैं। मंत्री ने लोकसभा में बताया कि इंजनों को बिजली प्रदान करने के लिए ओवरहेड उपकरण मस्तूलों का निर्माण भी शुरू हो गया है।
कुल 12 स्टेशनों में से 8 स्टेशनों (वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, आणंद, वडोदरा, अहमदाबाद और साबरमती) पर नींव का काम पूरा हो चुका है। महाराष्ट्र खंड में, 3 स्टेशनों (ठाणे, विरार, बोईसर) पर नींव का काम प्रगति पर है, और बीकेसी स्टेशन पर खुदाई का काम लगभग पूरा होने वाला है, और बेस स्लैब की ढलाई शुरू हो गई है।16 नदी पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि गुजरात में 5 प्रमुख नदी पुलों (नर्मदा, विश्वामित्री, माही, ताप्ती और साबरमती) पर काम अंतिम चरण में है और महाराष्ट्र में चार नदी पुलों पर काम प्रगति पर है। डिपो (ठाणे, सूरत और साबरमती) पर काम जोरों पर है। गुजरात में एकमात्र सुरंग का काम पूरा हो चुका है। समुद्र के नीचे सुरंग (लगभग 21 किमी) का काम शुरू हो गया है, जबकि महाराष्ट्र में घनसोली और शिलफाटा के बीच 4 किमी लंबी सुरंग का काम पूरा हो चुका है।
मंत्री ने यह भी बताया कि 30 जून, 2025 तक इस परियोजना पर कुल 78,839 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस परियोजना ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्माण से जुड़े लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं, विभिन्न वस्तुओं, निर्माण सामग्री, उपकरणों और सेवाओं की आपूर्ति की है।वैष्णव ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना बहुत जटिल और तकनीकी रूप से गहन होती है। उन्होंने आगे कहा कि परियोजना के पूरा होने की सटीक समय-सीमा और लागत का अनुमान सिविल संरचनाओं, ट्रैक, विद्युत, सिग्नलिंग और दूरसंचार तथा ट्रेनसेट की आपूर्ति से जुड़े सभी संबंधित कार्यों के पूरा होने के बाद ही लगाया जा सकता है।
मंत्री ने यह भी बताया कि एमएएचएसआर परियोजना के लिए 1389.5 हेक्टेयर की पूरी भूमि अधिग्रहित कर ली गई है। वन्यजीव, तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) और वन संबंधी सभी वैधानिक मंज़ूरियाँ प्राप्त कर ली गई हैं। परियोजना के सभी सिविल अनुबंध प्रदान कर दिए गए हैं। कुल 28 निविदा पैकेजों में से 24 निविदा पैकेज प्रदान कर दिए गए हैं। सभी 1,651 उपयोगिताओं को स्थानांतरित कर दिया गया है। परिचालन के दौरान शोर को कम करने के लिए ध्वनि अवरोधक लगाए जा रहे हैं।मंत्री ने आगे कहा कि वंदे भारत ट्रेनें मौजूदा नेटवर्क के लिए अर्ध-उच्च गति वाली ट्रेनें हैं और इन्हें बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। बुलेट ट्रेन परियोजना जापानी शिंकानसेन ट्रेनों के लिए डिज़ाइन की गई है।
अब तक, भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज (बी.जी.) विद्युतीकृत नेटवर्क पर चेयर कार वाली 150 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। इसके अलावा, वंदे भारत ट्रेन सेवाओं सहित नई ट्रेन सेवाओं की शुरुआत भारतीय रेलवे पर एक सतत प्रक्रिया है, जो यातायात औचित्य, परिचालन व्यवहार्यता और संसाधन उपलब्धता के अधीन है। वंदे भारत ट्रेन सेटों को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि इन सेवाओं को और अधिक मार्गों तक विस्तारित करने के लिए मेक इन इंडिया पहल के तहत 200 वंदे भारत स्लीपर रेक का निर्माण कार्य चल रहा है।