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लोक वाद्य यंत्र प्रशिक्षण कार्यशाला की हुई शुरूआत

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, भिलाई। कुहुकी एवं लोक रागिती सांस्कृतिक संस्था की ओर से संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से दस दिवसीय लोक वाद्य कार्यशाला-शिविर का आयोजन 2 जून से 10 जून तक किया जा रहा है। कुहुकी कलाग्राम संग्रहालय परिसर मरोदा सेक्टर मैत्री बाग के बाजू में होने वाली इस कार्यशाला के संबंध में प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय ने बताया कि यहां खंजेरी, तंबूरा, गतका, तुरही, चरहे, चिटकुली, कुहुकी और रूंजु आदि वाद्य बनाना कार्यशाला में सिखाया जायेगा। जिसमें वाद्य यंत्र प्रशिक्षक कला गुरू कोंडागांव, नारायणपुर, लोहारा, खैरागढ़ बालोद और बस्तर आदि स्थानों आयेंगे। इच्छुक प्रतिभागी इस कार्यशाला में शामिल हो सकते हैं।

ज्ञानपीठ विजेता शुक्ल का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया शर्मा ने

छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि, कहानीकार और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ से विभूषित करने की घोषणा के बाद भिलाई के शिक्षाविद एवं साहित्य प्रेमी डॉ. महेश चन्द्र शर्मा ने उनके रायपुर स्थित आवास पर जाकर शॉल-श्रीफल से उनका अभिनंदन किया। संस्कृति और साहित्य के शोधकर्ता डॉ.महेश ने आशीर्वाद, शुभकामनाएं एवं मार्गदर्शन प्राप्त किये। उल्लेखनीय है कि कृषि महाविद्यालय के प्राध्यापक रहे विनोद शुक्ल ने ” नौकर की कमीज़” , ” दीवार में एक खिड़की रहती थी ‌” और ” सब कुछ होना बचा रहेगा ” आदि उनकी अनेक प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं, कई पर फिल्में भी बनीं।

 

यद्यपि विनोद कुमार शुक्ल को अनेक अनेक राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले हैं, परन्तु ज्ञानपीठ सर्वोच्च सम्मान है। उनके साहित्य में विचारों और संवेदनाओं का अद्भुत संगम है। डॉ.महेश द्वारा विनोद शुक्ल को सम्मानित करते समय उनके सुपुत्र शाश्वत शुक्ल भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि शुक्ल की रचनाओं में मौलिकता, गहराई और मानवीय सरोकारों की त्रिवेणी प्रवाहित है। भारतीय साहित्य में कृषि प्रधान और ऋषि प्रधान सांस्कृतिक पृष्टभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शुक्ल के अनुसार हम अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिये अच्छा करेंगे तो अच्छे बन सकते हैं।

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