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वर्ल्ड रेबीज डे: रेबीज घातक, टीका जीवन बचा सकता है।

वर्ल्ड रेबीज डे : रेबीज हुआ तो मौत पक्की, लेकिन टीका लगाने पर बच सकती है जान…

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, अंबिकापुर। रेबीज एक जानलेवा ज़ूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। कुत्तों के अलावा बिल्ली, लोमड़ी और सियार जैसे जानवरों के काटने से यह बीमारी फैलती है। रेबीज का कोई इलाज नहीं है और यह 100% घातक है, लेकिन समय पर टीका लगवाने से पूरी तरह से बचाव संभव है।

रेबीज दिवस हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध वैज्ञानिक लुई पॉस्टर की पुण्यतिथि के साथ जुड़ा है, जिन्होंने रेबीज वायरस का टीका खोजा था। विश्व रेबीज दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में इस घातक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और रेबीज से होने वाली मौतों को कम करना है।

रेबीज के लक्षण

पहले कुत्ते में फ्लू के जैसे लक्षण आते है, बाद में ये नर्वस सिस्टम के लक्षणों में बदल जाते है, लार बहता रहता है.
मालिक का आदेश नहीं मानता है.
खाना और पानी बंद कर देता है.
सभी को काटने को दौड़ता है

बचाव

कुत्ते को पशु चिकित्सक के सलाह से रेबीज का टीका लगवाए और प्रतिवर्ष बूस्टर टीका अवश्य लगवाएं.

कुत्ता काट ले तो क्या

-घाव को अच्छी तरह से कार्बोलिक सोप से धोकर लगभग १० मिनट तक बहते पानी से साफ़ करे
– एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं
-चिकित्सक की सलाह से टीकाकरण करवाये

झाड़फूंक और अंधविश्वास से बचे

– ये जानलेवा है, लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाके में लोग इलाज न करवाकर झाड़-फूंक करवाते हैं, और अपनी जान गंवा बैठते हैं, इसलिए कुत्ता के काटने पर अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र में जा कर इलाज और टीका लगवाएं.

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जिले में हर महीने दो सौ से ज्यादा केस

पशुधन विकास विभाग में अतिरिक्त उप संचालक डॉ सीके मिश्रा बताते हैं कि विश्व में लगभग 60 हज़ार और भारतवर्ष में प्रतिवर्ष 20 हज़ार व्यक्ति की मृत्यु रेबीज बीमारी से हो रही है. वहीं बात करें अंबिकापुर की तो, हर महीने 200 से 300 कुत्ते के काटने के केस सामने आते हैं.