अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, रायपुर/दिल्ली। आज दोपहर पूर्व सीएम भूपेश बघेल संसद पहुंच गए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बेटे चैतन्य की गिरफ्तारी पर कहा, मोदी-शाह सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन कोई उनके मालिक ‘अडानी’ का विरोध करे, यह बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह मेरे लड़के का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी ने उसे अपना दुश्मन बनाया, उसे कोई जानता नहीं था, अब रातों-रात पूरा देश जान गया।
आगे उन्होंने कहा, जिस दिन ED ने मेरे बेटे को गिरफ्तार किया, उसी दिन हम अडानी के द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाए थे…”।
भूपेश बघेल और कांग्रेसजन यह लड़ाई आज से नहीं बल्कि कई सालों से लड़ रहे हैं. जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में हो रहे घोटालों, छत्तीसगढ़ को अडानीगढ़ बनाने के उनके प्रयासों, उनके द्वारा गोद लिए गए “सुपर सीएम” के संरक्षण में हो रहे घपलों और पनामा पेपर्स में दर्ज हो रहे “अभिषाक सिंह” सहित दामाद पुनीत गुप्ता के कारनामों को सभी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने घर-घर तक पहुँचाना शुरू किया, तो यह लोग षड्यंत्र पर उतर आए।
ये आप लोगों से तब भी डरते थे. इनको पता था कि भूपेश बघेल और नेताप्रतिपक्ष टी. एस सिंहदेव सहित सभी कांग्रेस नेताओं के पीछे आप सब लोग खड़े हैं. इसलिए जब ये आपसे नहीं लड़ पाए तो इन्होंने एक झूठे मामले में मेरे परिवार को तब भी निशाना बनाया. मैं अपनी दिवंगत मां को लेकर सपरिवार मई 2017 में EOW ऑफिस पहुंचा था. इस दौरान मेरी स्वर्गीय मां की तबियत भी बिगड़ी थी और उन्हें रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. इन्हें तब भी लगा था कि भूपेश बघेल की मां को बुला लिया है अब तो यह डर जाएगा, परिवार पर संकट यह झेल नहीं पाएगा. लेकिन हम सबने अपनी लड़ाई उसी धार से बरकरार रखी. उसके बाद इन्होंने एक प्रयास फिर विधानसभा चुनाव 2018 से पहले मुझे स्वयं को जेल भेजकर भी किया. फिर भी इनके हाथ हताशा ही लगी।
घोटालों और कांडों का वह “दमन काल” जनता भूली नहीं थी और आज भी नहीं भूली है. जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हें बुरी तरह भूल चटा दी. पंद्रह वर्ष की हुकूमत महज़ पंद्रह सीट पर सिमट गई और प्रदेश से भाजपा की सरकार चली गई. लेकिन सिर्फ़ इतना नहीं हुआ था. भाजपा की सत्ता जाने के साथ अडानी का सपना भी टूटा था. 2018 के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो बैलाडीला में हमने अडानी समूह को दी गई खनन परियोजना को रद्द किया था. क्योंकि इसके लिए जो ग्राम सभा की सहमति ली गई थी वह फर्जी थी. जब हमने अपनी सरकार के दौरान आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी. लोहंडीगुड़ा में टाटा द्वारा अधिग्रहित जमीन श्री राहुल गांधी जी ने आकर आदिवासियों को वापस दी तो उनको समझ आ गया था कि यह कांग्रेस पार्टी की सरकार है, इसमें उनका स्वार्थ सिद्ध नहीं हो पाएगा और न ही छत्तीसगढ़ के संसाधनों को लूटने की उनकी मंशा पूरी हो पाएगी. उसके बाद जो जो हुआ, वो आप सबने देखा है. हमारी सरकार को बदनाम करने के लिए एक के बाद एक षड्यंत्र जारी रहे. तबसे लेकर आजतक संघर्ष जारी है. राज्य में एजेंसियों को बसा दिया गया. हर दिन कहीं न कहीं कोई न कोई छापे. हर रोज़ नया षड्यंत्र, हर रोज़ नया आरोप. सरकार की और पार्टी की छवि धूमिल करने की लगातार कोशिश जारी रही।
यह सिर्फ़ छत्तीसगढ़ में नहीं हो रहा था. यह पूरे देश में लगातार जारी है. हमारे नेता श्री राहुल गांधी जी ने संसद के अंदर जब अडानी का नाम लिया तो ED ने समन भेज दिया. उनसे पूछताछ की गई. और अभी भी गांधी परिवार को लगातार टारगेट किया जा रहा है।
2023 में इनके द्वारा तैयार किया गया झूठ कुछ समय के लिए चल गया और प्रदेश से कांग्रेस सरकार चली गई. साथियों! हमारी सरकार जाते ही नई सरकार का शपथ ग्रहण भी नहीं हो पाया था और हसदेव में हज़ारों कटर लगाकर लाखों पेड़ काट दिए गए. जिन पेड़ों को हमने लंबे समय से कटने नहीं दिया था, आख़िर किस अदृश्य शक्ति के आदेश पर हसदेव उजाड़ा गया? तब समझ आया कि विष्णुदेव का शपथ ग्रहण भले ही न हुआ हो लेकिन अडानी छत्तीसगढ़ का मालिक होने की शपथ ले चुका है. उसके बाद शुरू हुआ छत्तीसगढ़ को “अडानीगढ़” बनाने का खेल. बस्तर को खाली कराया जा रहा है ताकि अडानी के लिए दरी बिछाई जा सके. हसदेव उजाड़ा जा चुका है. उसके बाद रायगढ़ के तमनार में विष्णु देव के शासन-प्रशासन के संरक्षण में गांव वालों को बंधक बनाकर, कांग्रेस विधायक को गिरफ़्तार करके अडानी के लोगों ने 5000 पेड़ काट दिए।





