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सीएम शिंदे ने CJI के साथ मंच साझा किया तो क्यों भड़की MVA ? उद्धव की शिवसेना बोली- ‘खतरे में लोकतंत्र’

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक कार्यक्रम में देश के सीजेआई जस्टिस यूयू ललित के साथ मंच साझा करने पर विपक्षी महाविकास अघाड़ी में शामिल दल भड़क गए हैं। शरद पवार की एनसीपी ने जहां इसे अनुचित और प्रोटोकॉल के खिलाफ बताया है, वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा तक बता दिया है। जबकि, कांग्रेस का आरोप है कि जिस सरकार पर अयोग्यता की तलवार लटकी है, ऐसे में यह कदम सही नहीं है। शनिवार को मुंबई में हुए इस कार्यक्रम में देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू के अलावा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।

सीएम शिंदे ने सीजेआई के साथ मंच साझा किया तो भड़की एमवीए सुप्रीम कोर्ट इस वक्त उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के भारत के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति यूयू ललित के साथ मंच साझा करना महाविकास अघाड़ी को पूरी तरह से नागवार गुजरी है। एमवीए ने रविवार को इसे गैरउचित करार दिया है। एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के खासमखास जयंत पाटिल ने एक ट्वीट करके कहा है, ‘एकनाथ शिंदे सरकार की वैधानिकता को चुनौती देने वाले गंभीर मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में चल रही है।’ उन्होंने कहा है, ‘ऐसे में शिंदे का भारत के चीफ जस्टिस के साथ मंच साझा करना अनुचित है। यह प्रोटोकॉल के मुताबिक नहीं है।’

मंच पर रिजिजू और फडणवीस भी मौजूद थे दरअसल, शनिवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में देश के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित को सम्मानित किया गया, जहां केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस और रिजिजू के अलावा महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने जस्टिस यूयू ललित के सीजेआई बनने पर कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरवशाली क्षण था।

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लोकतंत्र खतरे में है-शिवसेना शनिवार के कार्यक्रम की तस्वीरें साझा करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट किया, ‘जब शिंदे-फडणवीस सरकार की वैधानिकता और वैधता की जांच माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खुद किया जा रहा है और ना सिर्फ राज्य सरकार, बल्कि इसकी अगुवाई करने वाले व्यक्ति को अयोग्य करार दिया जा सकता है, तो मंच असंगत दिखता है।’ वहीं शिवसेना के प्रवक्ता अरविंद सावंत ने दावा किया कि इन दिनों कुछ भी नियम और कानून के मुताबिक नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘यही कारण है हम कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है।’ शिंदे के विद्रोह से गिर गई थी उद्धव सरकार इस साल जून में शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिससे उनकी अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी और 30 जून को शिंदे की अगुवाई वाली भाजपा-शिंदे शिवसेना की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ था।

शिंदे के विद्रोह से गिर गई थी उद्धव सरकार इस साल जून में शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिससे उनकी अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी और 30 जून को शिंदे की अगुवाई वाली भाजपा-शिंदे शिवसेना की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ था।

पांच सदस्यीय बेंच में हो रही है सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और शिंदे गुटों की ओर से दायर दलबदल, विलय और अयोग्यता वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय जजों की बेंच को सुनवाई के लिए सौंपा है। दोनों ओर से इस मामले में कई तरह के संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं, जिसपर अब पांच-सदस्यीय बेंच को फैसला सुनाना है।

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