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4 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म केस: कोर्ट सख्त, पुलिस को फटकार–5 लाख अंतरिम मुआवजा

4 साल की बच्ची से लड़ रही है मौत से जंग

यह मामला उस चार साल की बच्ची से जुड़ा है जिसे आरोपी ने अमानवीय तरीके से अपनी दरिंदगी का शिकार बनाया था। घटना के बाद बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह करीब 15–16 दिन तक उपचाराधीन रही। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची के निजी अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और फिलहाल उसे पेशाब व शौच के लिए पेट में लगाई गई नलियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि इलाज का यह कठोर और लंबा सिलसिला लगभग एक वर्ष तक चलेगा, लेकिन पूरी तरह ठीक हो जाने की कोई गारंटी नहीं है।

दिल्ली पुलिस की गलती का खामियाजा पीड़िता नहीं भुगतेगी

रोहिणी कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अमित सहरावत ने मामले की सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी और थाना प्रभारी दोनों की गैर-हाज़िरी को बेहद गंभीर लापरवाही बताया। कोर्ट ने कहा कि न तो पुलिस की ओर से विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट दाखिल की गई और न ही इसकी कोई वजह बताई गई। जज ने टिप्पणी की कि इतने संवेदनशील और गंभीर मामले में दिल्ली पुलिस का यह रवैया हैरान करने वाला है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पीड़िता और उसका परिवार पुलिस की गलती का खामियाज़ा नहीं भुगत सकते।

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रोहिणी कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चार साल की बच्ची की पीड़ा शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। जिस असहनीय दर्द और तकलीफ़ से वह गुजर रही है, उसे कोई भी इंसान सहन नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि पीड़िता को तत्काल सहायता की आवश्यकता है। इसी के मद्देनज़र कोर्ट ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वे तुरंत पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा पीड़ित बच्ची को प्रदान करें।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह राशि मामले के अंतिम निर्णय के समय मिलने वाले कुल मुआवजे में समायोजित की जाएगी। कोर्ट ने अपने आदेश की एक प्रति संबंधित डीसीपी को भेजने के निर्देश भी दिए हैं। इसके साथ ही, रोहिणी कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराज़गी जताई और कहा कि जांच में लापरवाही साफ दिखाई देती है।