Balasore Train Accident: 82 शवों की अभी भी नहीं हुई पहचान, सामूहिक अंतिम संस्कार को लेकर सरकार ने बताई अपनी राय
Odisha Balasore Train Tragedy: ओडिशा बालासोर रेल हादसे के एक हफ्ते बाद भी अब तक 82 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। परिजनों को अब डीएनए रिपोर्ट का इंतजार है। हालांकि कई परिवार वाले अब ना उम्मीद होकर घर लौट रहे हैं। 2 जून को हुए बालासोर रेल हादसे में 288 लोगों की जान चली गई थी।
 आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सारे शव फिलहाल एम्स-भुवनेश्वर में रखे गए हैं। यहां के अधिकारियों ने पिछले 48 घंटों में एक भी परिवार वालों को शव नहीं सौंपा है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लाशों की पहचान इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि वह पूरी तरह से सड़ चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को एम्स के अधिकारियों से मुलाकात की और शवों की शिनाख्त कैसे करवाई जाए….इसपर चर्चा की। धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से कहा, डीएनए को मिलाकर देखना ही, वैज्ञानिक तरीके से शवों के पहचान का एक एकमात्र तरीका है और हम इस संबंध में सभी कदम उठा रहे हैं।”
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सारे शव फिलहाल एम्स-भुवनेश्वर में रखे गए हैं। यहां के अधिकारियों ने पिछले 48 घंटों में एक भी परिवार वालों को शव नहीं सौंपा है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लाशों की पहचान इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि वह पूरी तरह से सड़ चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को एम्स के अधिकारियों से मुलाकात की और शवों की शिनाख्त कैसे करवाई जाए….इसपर चर्चा की। धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से कहा, डीएनए को मिलाकर देखना ही, वैज्ञानिक तरीके से शवों के पहचान का एक एकमात्र तरीका है और हम इस संबंध में सभी कदम उठा रहे हैं।”
 डीएनए सैंपलिंग की मदद से की जा रही है पहचान
डीएनए सैंपलिंग की मदद से की जा रही है पहचान
एम्स के अधिकारियों ने कहा कि शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी कर ली गई है। उन्होंने 50 से अधिक रिश्तेदारों के ब्लड सैंपल ले लिए गए हैं जिन्हें एक या दो दिन में नई दिल्ली भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, ”बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ लोग अभी भी शवों का दावा करने आ रहे हैं … हमने उन्हें तस्वीरों से शवों की पहचान करने के लिए कहा है। हम डीएनए जांच के लिए उनके ब्लड सैंपल एकत्र कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान की पुष्टि होगी।’
लावारिस शवों का रखा जा रहा है ध्यान
राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही लावारिस शवों के निस्तारण पर कोई फैसला लिया जाएगा। बिहार के मोतिहारी के रहने वाले सुभाष सहनी एम्स के बाहर इंतजार कर रहे लोगों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने तस्वीरों से अपने भाई राजा के शव की पहचान की थी, लेकिन जब किसी अन्य परिवार ने दावा किया तो वह निराश हो गए। इस शव को पहले पश्चिम बंगाल ले जाया गया था लेकिन उसे वापस भुवनेश्वर लाया गया है। जब परिवार ने दावा किया था कि राजा की जेब में आधार कार्ड मिला है। फिर भी सुभाष ने इंतजार करना नहीं छोड़ा। उसने कहा, ”जब हमने अधिकारियों से कहा कि यह मेरे छोटे भाई का शव है, तो उन्होंने हमें डीएनए रिपोर्ट आने तक इंतजार करने के लिए कहा है।”





