अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

देश

CAA Implementation: गुजरात चुनाव के बाद CAA लागू होगा

CAA Implementation: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्माने वाली है। इस बार सबसे ज्यादा सियासी तूफान बंगाल में मच रहा है। हालाकि तीन साल बीतने को हैं, और केंद्र सरकार ने क़ानून को लागू करने की नियमावली अभी तक नहीं बनाई है। लेकिन बंगाल की भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी सरकार को खुली चुनौती दे रही है कि उसमें हिम्मत है तो वह सीएए को रोक कर दिखाएं।

असल में इसकी सियासत मतदाता सूची से शुरू हो रही है। कुछ दिन पहले ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से अपील की है, जिसमें उन्होंने सभी से कहा कि वे अपना नाम मतदाता सूची में जरूर डलवाएं, अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनका नाम नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी से गायब हो जाएगा। इससे साफ़ है कि वह अपील बांग्लादेशी मुसलमानों से कर रही हैं, जो इस समय उनका कोर वोटर बन कर उभर रहा है। अब इसका यह मतलब भी निकलता है कि ममता बनर्जी यह मान कर चल रही है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले हिन्दू कार्ड खेलने के लिए सीएए ही नही, एनआरसी भी लागू करेगी। इसीलिए वह अपना वोट बैंक मजबूत कर रही है, जबकि अब तक तो वह केंद्र सरकार को चुनौती दे रही थी कि वह सीएए लागू कर के दिखाए।

भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी को अमित शाह से क्या संदेश मिला है, वह तो नहीं पता, किंतु सीएए पर उन्हीं के ताज़ा बयान के कारण बंगाल की सिसायत में तूफ़ान आया है। इससे पहले भी जब पुराने क़ानून के तहत ही गुजरात में पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को नागरिकता दी गई थी, तब भी उन्होंने एक बयान दे दिया था कि गुजरात में नागरिकता मिलनी शुरू हो गई है, अब बंगाल में भी मिलेगी।

See also  'प्रधानमंत्री पद के लिए कई आकांक्षी हैं लेकिन मोदी...' स्मृति ईरानी ने नीतीश की महत्वाकांक्षाओं पर किया तंज

हालांकि वह गलत साबित हुए थे, अब उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने को लेकर ममता बनर्जी सरकार को सीधी चुनौती दी है। चुनौती भी इस तरह की कि एक तरह से उन्होंने ममता बनर्जी को ललकारा है कि उनमें अगर ताकत है तो वह इसे लागू होने से रोक के दिखाएं। शुभेंदु अधिकारी ने ममता को यह चुनौती हाल ही में 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में जाकर दी है, जहां बड़ी तादाद में बांग्लादेशी जड़ों वाले मटुआ समुदाय के हिन्दू लोग बिना नागरिकता के रहते हैं।

आप लोगों को याद दिला दूं कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले मोदी जब बांग्लादेश गए थे तो वह मटुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर और सुगंधा शक्तिपीठ भी गए थे, जो हिन्‍दू धर्म की 51 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है। पश्चिम बंगाल में मटुआ समुदाय की आबादी 2 करोड़ से भी ज्यादा है। नदिया और 24 परगना जिले में 50 से ज्‍यादा विधानसभा सीटों पर इनकी पकड़ बेहद मजबूत है। लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस इलाके की कम से कम सात लोकसभा सीटों पर उनके वोट निर्णायक भूमिका निभाते है। इनमें से एक बड़ी आबादी बांग्लादेश से आ कर यहाँ बसी है, और उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है।