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Dussehra 2022: विजयादशमी पर करें अपराजिता स्तोत्र का पाठ, कभी हार नहीं होगी

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। असुर रावण का वध करके भगवान राम ने पृथ्वी को अत्याचार, पापाचार से मुक्ति दिलाई थी। राम का रावण के प्रति युद्ध केवल सीता को मुक्त करवाने के लिए नहीं था, अपितु संपूर्ण सृष्टि को रावण के अत्याचारों से छुड़वाना था। रावण भी कम शक्तिशाली नहीं था, इसलिए उस पर विजय प्राप्त करने के लिए श्रीराम को विशेष प्रयत्न करने पड़े। लंका विजय से पूर्व भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की स्वरूपा अपराजिता देवी का पूजन किया था। अपराजिता का अर्थ है जो सर्वत्र विजयी रहे, जिसे कोई परास्त न कर सके।

आज भी विजयादशमी के दिन अपराजिता देवी के पूजन का विधान है। जो मनुष्य इस दिन अपराजिता देवी का पूजन कर अपराजिता स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करता है, वह कभी परास्त नहीं होता। संसार समर में उसे सर्वत्र विजय प्राप्त होती है। देवी अपराजिता का पूजन करने से मनुष्य को सभी दिशाओं में जीत का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कैसे करें अपराजिता पूजन और स्तोत्र पाठ

विजयादशी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, सुपारी, पैसा लेकर अपराजिता पूजन का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर में देवी अपराजिता का विधि पूर्वक पूजन करें। अपराजिता स्तोत्र का पाठ करें। फल-मिष्ठान्न का नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के समय ऊं अपराजितायै नम: मंत्र का जाप एक माला करें। इसके बाद देवी सूक्त, देवी कवच आदि का पाठ कर सकते हैं।

पूजन मुहूर्त विजय मुहूर्त

दोपहर 2.13 से 3.01 तक, अवधि 48 मिनट अपराजिता पूजन और स्तोत्र पाठ के लाभ विजयादशमी के दिन अपराजिता देवी का पूजन करके अपराजिता स्तोत्र का पाठ करने से सर्वत्र विजय प्राप्त होती है। शत्रु जो हानि पहुंचाने का प्रयास करते हैं या कार्य में बाधा डालते हैं उनका शमन होता है। कोई भी कार्य यदि अटका हुआ है तो विजयादशमी के दिन अपराजिता स्तोत्र का पाठ करने से कार्य बाधा दूर होती है। आकस्मिक और पूर्वपेक्षित संकटों से रक्षा होती है। आर्थिक कार्यो में, धन प्राप्ति में बाधा है तो वह भी दूर हो जाती है।

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