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Margashirsha Amavasya : मार्गशीर्ष अमावस्या आज, जानिए क्या करें और क्या ना करें

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म-दर्शन। Margashirsha Amavasya 2022 (क्या करें और क्या ना करें): आज मार्गशीर्ष माह की अमावस्या है। आज के दिन किए गए कामों से शुभ फल की प्राप्ति होती है तो वहीं आज का दिन पितरों को खुश करने का भी होता है। मार्गशीर्ष की अमावस्या को अगहन अमावस्या भी कहते हैं। आज के दिन लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं तो कहीं-कहीं पर ब्राह्मणों को भोजन भी लोग कराते हैं। माना जाता है कि पितरों के लिए श्राद्ध करने पर उन्हें मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आज 6 :53 AM मिनट से अमावस्या तिथि लग चुकी है जिसका समापन 24 नवंबर को सुबह 4: 26 AM पर होगा।

वैसे आज के दिन भूत-पिशाच जैसी शक्तियां भी काफी एक्टिव रहती हैं और इस वजह से आज कुछ चीजों का खास ख्याल रखना जरूरी है। अगर आप पितृ दोष से मुक्त होना चाहते हैं तो आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान जरूर करें और ऐसा संभव ना हो तो नहाते समय अपनी बाल्टी के पानी में दो-चार बूंद गंगाजल की जरूर डालें। नहा-धोकर आप स्वच्छ कपड़े पहनें और अपने पितरों को याद करते हुए पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और दीया जलाएं। आज के दिन पीपल के पेड़ का बड़ा मान है। ऐसा करने से इंसान पितृ दोष से मुक्त हो जाता है।

क्या करें और क्या ना करें

  • आज के दिन मदिरापान ना करें।
  • आज के दिन मांसाहारी भोजन ना करें।
  • आज के दिन झगड़ा ना करें।
  • आज के दिन कलह, बहस या निंदा का हिस्सा ना बनें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • संध्या काल में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
  • गरीबों को दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • पितृ कवच का पाठ करें। शमशान घाट ना जाएं।
  • तुलसी के पास दीपक जरूर जलाएं।
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इन मंत्रों की करें पूजा, ना होगी धन की कमी

  • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
  • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
  • ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
  • ॐ पितृ दैवतायै नमः। ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम

अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे। श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।