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Mercedes-Benz GLC की क्रैश टेस्ट रेटिंग सबसे बेहतरीन है, फिर साइरस मिस्त्री की क्यों नहीं बची जान ? जानिए

नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्री की रविवार को एक भयंकर सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी। उनके साथ उनके एक साथी की भी जान चली गई और कार में सवार दो अन्य लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। मिस्त्री के साथ हुई इस कार दुर्घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि, साइरस मिस्त्री जिस कार से अहमदाबाद-मुंबई हाइवे से मुंबई की ओर जा रहे थे, वह लग्जरी एसयूवी मर्सिडीज बेंज जीएलसी है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेस्ट-रेटिंग कार मानी जाती है। यही नहीं इस दुर्घटना में जिन दो लोगों की मौत हुई है, दोनों ही पीछे की सीट बैठे हुए थे, बावजूद फ्रंट सीट वालों की जान बच गई, लेकिन पीछे की सीट वालों की मौके पर ही मौत हो गई। आइए इसकी वजह जानते हैं।

साइरस मिस्त्री की क्यों नहीं बची जान ?

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्री जिस दुर्घटना के शिकार हुए हैं, उससे सड़क सुरक्षा पर एकबार फिर से चिंता बढ़ा दी है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिस लग्जरी एसयूवी मर्सिडीज बेंज जीएलसी में मिस्त्री समेत चार लोग सवार थे, उनमें पहली सीट पर बैठे ड्राइवर और सह-यात्री को गंभीर चोटें लगी हैं, लेकिन वह बच गए हैं। जबकि साइरस मिस्त्री समेत पीछे की सीट पर बैठे दोनों यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। सवाल इसलिए उठ रहा है कि तेज रफ्तार कार आगे से टकराई फिर, पीछे के दोनों यात्रियों की ही जानें क्यों चली गईं?

5-स्टार रेटिंग प्राप्त है मर्सिडीज

बेंज जीएलसी साइरस मिस्त्री की कार के साथ यह हादसा मुंबई से करीब 110 किलोमीटर पहले सूर्या नदी के पुल पर हुई। रविवार को यह कार पुराने पुल के एक डिवाइडर से टकरा गई थी। जिस लग्जरी एसयूवी मर्सिडीज बेंज जीएलसी में चारों यात्री सवार थे, वह मर्सिडीज कंपनी की सर्वाधिक लोकप्रिय मॉडलों में से एक है और क्रैश टेस्ट रेटिंग में यह सबसे अधिक सुरक्षित लग्जरी एसयूवी में से एक मानी जाती है। मर्सिडीज जीएलसी 220डी 4मैटिक और 300 4मैटिक वेरिएंट में आती है, जिसकी सेफ्टी रेटिंग मुश्किल यूरो एनसीएपी टेस्ट में भी सर्वाधिक सुरक्षित 5-स्टार रेटिंग प्राप्त है।

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सात एयरबैग वाली लग्जरी एसयूवी थी

मर्सिडीज बेंज जीएलसी को इस वजह से 5-स्टार रेटिंग प्राप्त है, क्योंकि इसमें कई सारे सेफ्टी फीचर के अलावा, मल्टिपल एयरबैग और एक बोनट सिस्टम भी है, जो टक्कर के प्रभाव को कम करने में सक्षम है। इसमें एक प्री-सेफ सिस्टम भी है, जो टक्कर का पहले ही अंदाजा लगा लेता है और सीटबेल्ट को कस देता है और सिर के ऊपर सुरक्षा कवर ऐक्टिवेट करता है। जीएलसी में तो एयरबैग के अलावा नी (घुटने के पास) बैग भी होती है, जो कि क्रैश के समय स्टीयरिंग कोलम से अतिरिक्त सुरक्षा देती है। कुल मिलाकर जीएलसी में सात एयरबैग होते हैं।

कार की रफ्तार ज्यादा होने के संकेत

शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि सारे एयरबैग खुले थे। जानकारी के मुताबिक कार मुंबई की एक मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोले चला रही थीं और कार की स्पीड काफी ज्यादा थी। पुलिस का कहना है कि कार ने मुंबई से 120 किमी दूर पालघर जिले में चरोटी चेक पोस्ट को पार करने के बाद सिर्फ 9 मिनट में 20 किमी की दूरी तय कर ली। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘शुरुआती जांच के अनुसार, तेज रफ्तार और निर्णय की गलती के कारण कार दुर्घटना हुई। दोनों मृतकों ने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी।’ पुलिस के मुताबिक ड्राइवर के मन में पुराने पुल या नए पुल से निकलने के विचार चल रहे होंगे। उन्होंने अचानक पुराने पुल से चलने का फैसला किया और उसी समय संतुलन खो देने की आशंका है। एक चश्मदीद ने कहा है कि महिला लेफ्ट साइड से एक गाड़ी को ओवर टेक करने की कोशिश कर रही थी और उसी समय कार डिवाइडर से टकरा गई।

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एयरबैग तो खुले, लेकिन इस वजह से देरी हुई

मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रदीप धोडी के मुताबिक मिस्त्री (54 साल) ड्राइवर के पीछे बैठे थे। उनकी और जहांगीर की मौत मौके पर ही फ्रंट सीट से सिर टकराने के चलते हो गई। दोनों की मौत सिर में गंभीर चोट लगने के चलते हुई। पुलिस ने वाहन की छानबीन के बाद कहा कि पिछली सीट के यात्रियों की सुरक्षा के लिए जो कर्टेन एयरबैग होते हैं, ऐसा लगता है कि वे खुले, लेकिन उसमें काफी देर हो गई। क्योंकि, साइरस और उनके मित्र जहांगीर ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी, इसलिए एयरबैग खुलने से पहले उनके सिर फ्रंट सीट से टकरा चुके थे। पुलिस का कहना है कि अनाहिता और डेरिअस की जान इसलिए बच गई, क्योंकि उन्होंने सीट बेल्ट बांध रखी थी और उनके एयरबैग ने खुलकर उन्हें बचा लिया।

हर चार मिनट पर एक की गई

जान भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर रविवार को ही एक रिपोर्ट आई है। इससे पता चलता है कि पिछले साल 1.55 लाख लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं की वजह से चली गई। हर चार मिनट में एक व्यक्ति ने सड़क पर तड़पते हुए दम तोड़ा है। हादसों में 4 लाख से अधिक लोग जख्मी भी हुए थे। इन सड़क दुर्घटनाओं में ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के अलावा तेज रफ्तार मुख्य कारण बताए गए हैं।