RBI ने रेपो रेट नहीं बदला; लोन महंगे नहीं होंगे, EMI पर असर जानें।

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने MPC की बैठक में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इसका मतलब है कि लोन महंगे नहीं होंगे और EMI भी बढ़ेगी नहीं। अगस्त की पिछली बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
सभी सदस्य थे एकमत (RBI Repo Rate)
RBI गवर्नर के मुताबिक, MPC के सभी 6 सदस्यों ने दरों को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया. महंगाई में हालिया कमी और आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया. गवर्नर ने कहा “ब्याज दरों को फिलहाल स्थिर रखना आवश्यक है, ताकि विकास दर प्रभावित न हो और महंगाई भी नियंत्रण में बनी रहे.”
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज उपलब्ध कराता है. इसमें बदलाव का सीधा असर आपके लोन और EMI पर पड़ता है.
- रेपो रेट घटे तो बैंक सस्ते में कर्ज लेते हैं और ग्राहकों को भी सस्ता लोन देते हैं.
- रेपो रेट बढ़े तो बैंक महंगा कर्ज लेते हैं और उपभोक्ताओं पर इसका बोझ EMI के रूप में पड़ता है.
इस साल तीन बार कटौती (RBI Repo Rate)
RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक तीन बार रेपो रेट घटाया है.
- फरवरी बैठक: 6.5% से घटाकर 6.25%
- अप्रैल बैठक: 0.25% की कटौती
- जून बैठक: 0.50% की कटौती
तीनों बैठकों में कुल मिलाकर 1% की कमी की गई. यह लगातार कई सालों में पहली बार था जब MPC ने इतनी आक्रामक कटौती की.
क्यों घटाई जाती है रेपो रेट?
रेपो रेट महंगाई को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को संतुलित करने का प्रमुख साधन है. जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर कर्ज महंगा करता है, जिससे बाजार में कैश फ्लो घटे और मांग कम हो. जब अर्थव्यवस्था मंदी में होती है, तो RBI रेपो रेट घटाकर कर्ज सस्ता करता है, जिससे लोगों और उद्योगों को अधिक लोन मिल सके और मांग बढ़े.
हर दो महीने होती है MPC की बैठक (RBI Repo Rate)
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 RBI के और 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. यह कमेटी हर दो महीने में मिलकर ब्याज दरों पर निर्णय लेती है. RBI पहले ही वित्तीय वर्ष 2025-26 की 6 बैठकों का शेड्यूल जारी कर चुका है. पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी. यह अक्टूबर बैठक साल की चौथी बैठक रही.




