अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

धर्म - ज्योतिष

Rishi Panchami 2022: ऋषि पंचमी आज, जानिए मंत्र, महत्व और पूजा विधि

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी व्रत-पूजन किया जाता है। इस दिन सप्तऋषि की पूजा करने का विधान है। औरतें व्रत रखकर सप्तऋषियों का पूजन करती हैं। ऋषि पंचमी आज है, यह पूजा मुख्य रूप से महिलाओं के रजस्वला दोष से शुद्धि और जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति के लिए किया जाता है।

ऋषि पंचमी पूजा मंत्र

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋ षय: स्मृता:।।

गृन्त्व‌र्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवतु मे सदा।।

ऋषि पंचमी का महत्व:

ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं पवित्र नदियों के जल से स्नान करें। यदि आसपास पवित्र नदियां ना हों तो नहाने के पानी में गंगा, नर्मदा आदि का जल डालकर स्नान करें। इस दिन आंधीझाड़ा (जंगल में उगने वाली एक झाड़ीनुमा वनस्पति) की पत्तियां सिर पर रखकर स्नान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान तकलीफ नहीं होती। इसके अलावा इस व्रत को करने का दूसरा महत्व यह है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पूजन आदि कार्य करने की मनाही होती है। मासिक धर्म के दौरान यदि अनजाने में कोई स्त्री भगवान की तस्वीर, पूजा सामग्री को छू ले तो इस दोष के निवारण के लिए सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है।

व्रत विधि:

ऋषि पंचमी की पूजा के लिए एक चौकी पर सप्त ऋषियों की मूर्ति या कुमकुम से चित्र बनाए जाते हैं। इसके बाद सबसे पहले गणेशजी का पूजन किया जाता है, उसके बाद सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। इसके बाद ऋ षि पंचमी की कथा सुनी जाती है। इस दिन फलाहार के रूप में मोरधन खाया जाता है। शाम के समय भोजन ग्रहण कर सकती हैं।

See also  Ganesh Utsav 2022: गणेश चतुर्थी पर शुभ योग में हो रहा है गणपति बप्पा का आगमन, जानें मुहूर्त और महत्व

ऋषि पंचमी की कथा:

विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण का एक पुत्र और एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुल वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दंपती कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।

शरीर कीड़ों से भर गया:

एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा नाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है? ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया किपूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही देव स्थान को छू लिया था। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं। सारे दुख दूर हो जाएंगे

सारे दुख दूर हो जाएंगे:

धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चांडालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी। पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई।

See also  Indian Festivals in October 2022 : ये है अक्टूबर महीने के व्रत की पूरी लिस्ट, जानें कब है करवा चौथ?