अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह के तहत देश भर में हिंदू सम्मेलन और जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित करने की योजना की घोषणा की है। इस साल विजयादशमी पर आरएसएस अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लेगा । इस अवसर पर 26 अगस्त को आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत की व्याख्यान श्रृंखला के साथ समारोह की शुरुआत होगी, जो दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में आयोजित की जाएगी ।
अपने शताब्दी वर्ष के लिए आरएसएस ने देश भर के हर राज्य के हर ब्लॉक तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। संगठन अपनी स्थानीय शाखाओं को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानता है और इस साल शाखाओं की संख्या एक लाख से ज़्यादा करने का लक्ष्य रखता है। यह जानकारी दिल्ली आरएसएस के प्रांत कार्यवाह अनिल गुप्ता ने देव ऋषि नारद पत्रकारिता पुरस्कार समारोह के दौरान दी। उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन 26 अगस्त को मोहन भागवत की चार प्रमुख महानगरों में तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के साथ होगा। इसके साथ ही देश भर में संपर्क अभियान भी चलाए जाएंगे।
साल के अंत में, आरएसएस ने पूरे भारत में 1,500 से 1,600 हिंदू सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है। इस संगठन की स्थापना विजयादशमी के दिन हुई थी, जो इस साल 2 अक्टूबर को है और इसकी 100वीं वर्षगांठ है।
इस बीच, गुरुवार को आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने पुणे में दिवंगत आयुर्वेद चिकित्सक और आरएसएस नेता दादा खादीवाले की जीवनी के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए इस बात पर जोर दिया कि आरएसएस का मूल सिद्धांत “अपनापन” है।
भागवत ने कहा, “यदि आरएसएस को एक शब्द में वर्णित किया जाए तो वह होगा ‘संबद्धता’।” उन्होंने कहा कि समाज में यह भावना और मजबूत होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) को केवल एक शब्द में वर्णित किया जाए, तो वह शब्द होगा ‘अपनापन’। संघ क्या करता है? यह हिंदुओं को संगठित करता है। और इस बढ़ती हुई अपनेपन की भावना को और मजबूत किया जाना चाहिए, क्योंकि पूरी दुनिया इसी से चलती है।”
भागवत ने कहा कि असली एकता उस आम धागे को पहचानने से आती है जो सभी को जोड़ता है। उन्होंने बताया कि जानवरों के विपरीत, मनुष्य में स्वार्थ से ऊपर उठने की क्षमता होती है। उन्होंने कहा, “जो इस अपनेपन को समझता है, वही सच्चा इंसान है।”