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अजय देवगन की याचिका पर दिल्ली HC: पहले संबंधित प्राधिकरण के पास जाएं

अनादि  न्यूज़ डॉट कॉम दिल्ली  हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने स्पष्ट किया है कि आपत्तिजनक ऑनलाइन कंटेंट हटाने की मांग करने वाले लोगों को सीधे अदालत आने से पहले संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संपर्क करना चाहिए। जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालत की कार्यवाही में उपस्थित सोशल मीडिया अधिकारी गलत या अपमानजनक सामग्री हटाने को लेकर आने वाली शिकायतों पर कोई आपत्ति नहीं जताते हैं। अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की, जब उसने अभिनेता अजय देवगन(Ajay Devgan) के पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकारों) की रक्षा करते हुए विवादित सामग्री पर एकतरफा अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया।

एकतरफा रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने से पहले पीठ ने स्पष्ट किया कि अलग-अलग यूज़र्स द्वारा अपलोड की गई अभिनेता की अन्य महिला सेलेब्रिटीज़ के साथ एआई-जनित तस्वीरें जो पहली नज़र में आपत्तिजनक, भ्रामक और अश्लील प्रतीत होती हैं. को सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि यह जरूरी है कि शिकायतकर्ता पहले आईटी नियमों में निर्धारित वैधानिक प्रक्रिया का पालन करें। इसलिए अब से यदि कोई शिकायतकर्ता/वादी इस कानूनी उपाय का उपयोग किए बिना सीधे अदालत पहुंचता है, तो उसे एकतरफा अंतरिम रोक का अधिकारी नहीं माना जाएगा। ऐसे मामलों में अदालत संबंधित पक्ष को पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज कराने के निर्देश देगी।

पीठ ने यह भी कहा कि जब स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपत्तिजनक सामग्री हटाने को तैयार हैं, तो शिकायतकर्ताओं को पहले उनके पास जाना चाहिए। इससे उनकी समस्या का समाधान उसी स्तर पर हो जाएगा और अदालत पर अनावश्यक बोझ भी नहीं पड़ेगा।

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पीठ ने आगे कहा कि कानूनी व्यवस्था का उद्देश्य शिकायतकर्ता को प्रभावी और त्वरित समाधान देना है, और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म खुद ऐसी शिकायतों के निस्तारण के लिए सक्षम प्रणाली उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में अदालतों में अनावश्यक मुकदमे दायर करना कई मायनों में गलत है। लोग अपनी समस्या का आसान समाधान चाहते हैं, जो प्लेटफ़ॉर्म के स्तर पर आसानी से मिल सकता है। इसलिए, अदालत ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका का निपटारा कर दिया।