नौतपा ठीक से ना तपा तो इंसानों को भुगतना पड़ सकता है कुदरत का कहर, वर्षा होने के क्या हैं संकेत
अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नौतपा। नौतपा की शुरुआत 25 मई से हो चुकी है और इसका समापन 2 जून को होगा. ज्येष्ठ मास में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब नौतपा प्रारंभ हो जाता है. इस समय सूर्य पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है और अपनी प्रचंड ऊष्मा पृथ्वी को प्रदान करता है. वहीं अगर इन 9 दिनों में बारिश हो जाए तो मानसून के लिए शुभ संकेत है या अशुभ. नौतपा क्यों जरूरी है, कुदरत के नियम के अनुसार जानें .
नौतपा 25 मई से शुरू हो गया है और इसका समापन 2 जून दिन सोमवार को होगा. नौतपा सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश से आरंभ होता है और लगभग 9 दिनों तक चलता है इसलिए इसे नौतपा कहते हैं. यह काल सौर ताप और वर्षा पूर्व संकेतों का द्योतक माना जाता है. पारंपरिक ज्योतिष, पंचांग गणना और मौसम विज्ञान के लोक-ज्ञान के अनुसार, नौतपा में मौसम की गतिविधियां यह संकेत देती हैं कि आने वाले समय में वर्षा ऋतु कैसी रहेगी. नौतपा के 9 दिन में पृथ्वी पर सूर्य की किरण सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं इसलिए इन दिनों भयंकर गर्मी पड़ती है लेकिन अगर इन 9 दिन में वर्षा हो जाए तो क्या यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत है या अशुभ जानें .

नौतपा में वर्षा होना शुभ या अशुभ
नौतपा शब्द बना है — नौ + तपा अर्थात् सूर्य द्वारा तपाए गए 9 विशेष दिन. सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा प्रारंभ हो जाता है और इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिन तक रहते हैं, इसके बाद सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाते हैं. हर साल ज्येष्ठ मास में नौतपा प्रारंभ हो जाता है और इन 9 दिनों में भंयकर गर्मी पड़ती है. कहते हैं अगर नौतपा में भयंकर गर्मी पड़ती है तो आने वाले समय में अच्छी बारिश होगी. वहीं अगर नौतपा में बारिश हो जाए तो आने वाले समय में वर्षा ऋतु में बारिश के हाल बेहाल रहने वाला हैं.
नौतपा का रहस्य
” नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है?”
“दो मूसा, दो कातरा, दो टीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जळ हरै, दो ईश्वर दो वाय।।
अर्थ:- नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुँचाने वाला कीट) बहुत हो जायेंगे। तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधीयां अधिक चलेंगी। फसलें चौपट कर देंगी। इसलिए “लू ” से भयभीत न होवें।




