अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए लोधी एस्टेट स्थित अपना बंगला खाली कर दिया है। यह बंगला उन्हें लगभग एक साल पहले एक राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष के रूप में आवंटित किया गया था। बताया जा रहा है कि मायावती ने 20 मई को यह बंगला खाली कर दिया और चाबियां सीपीडब्ल्यूडी (सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट) को सौंप दीं। बंगले के पास स्कूल होने के कारण सुरक्षा संबंधी समस्याएं आ रही थीं।
35, लोधी एस्टेट, बसपा प्रमुख मायावती के लिए उपयुक्त स्थान था, क्योंकि उन्हें Z-प्लस सुरक्षा प्राप्त थी। यह बंगला पार्टी के केंद्रीय कार्यालय, 29, लोधी एस्टेट, के ठीक पीछे वाली गली में स्थित था। पार्टी कार्यालय का पिछला गेट 35, लोधी एस्टेट की ओर खुलता था। पिछले साल दोनों बंगलों का एकसमान नवीनीकरण किया गया था। मायावती के आवास बदलने के निर्णय पर बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारी कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं हैं।
आवास से 100 मीटर की दूरी पर स्कूल
बसपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि मायावती का यह फैसला “सुरक्षा कारणों” से लिया गया है। उन्होंने कहा कि उसी सड़क पर उनके आवास से महज 100 मीटर की दूरी पर एक स्कूल है। स्कूल वैन अक्सर 35, लोधी एस्टेट के सामने सड़क पर खड़ी रहती हैं। इसके अलावा, माता-पिता अपने बच्चों को छोड़ने और लेने के लिए उसी सड़क पर गाड़ियां पार्क करते हैं। इससे मायावती की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां भी उसी क्षेत्र में खड़ी होती हैं। ऐसे में उन्हें और स्कूली बच्चों दोनों को असुविधा होती है।
मायावती को आवंटित बंगला दूसरा सबसे बड़ा
मायावती के घर के बाहर किसी सुरक्षा समस्या की जानकारी नहीं है, लेकिन Z-प्लस सुरक्षा प्रदान करने वाली यूनिट को उनके नए आवास में स्थानांतरित होने की सूचना दे दी गई है। उन्हें अभी भी सुरक्षा दी जा रही है। मायावती को आवंटित 35, लोधी एस्टेट बंगला, सरकारी आवासों में टाइप-VII श्रेणी का है, जो दूसरा सबसे बड़ा प्रकार है। यह राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों के लिए संपत्ति निदेशालय की जुलाई 2014 की नीति के तहत आवंटित किया गया था। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 3 अप्रैल को लोकसभा में एक जवाब में बताया कि यह बंगला मायावती को 15 फरवरी 2024 को सौंपा गया था।
बंगला खाली करने को लेकर चर्चा तेज
मायावती का बंगला बदलना एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया है। लोग इस पर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया, जबकि कुछ का कहना है कि यह बसपा की कमजोर होती स्थिति का संकेत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती आगे क्या कदम उठाती हैं और बसपा अपनी खोई हुई ताकत कैसे वापस हासिल करती है।