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भारत भोग से नही ज्ञानऔर देवत्व से है

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य रूप मे पहली बार वियतनाम की धरती पर प्रवचन,भगवान विश्वनाथ ने जो शब्द बोले वह वेद वाक्य से शुरू होकर के वेद वाक्य पर विराम लिए। पूरी दुनिया ईश्वर है और हम सभी भी भारतीय दर्शन के अनुसार ईश्वर है। यह अगर दुनिया में किसी के पास चिंतन था या है तो वह केवल भारत के पास। भारत ही है जो प्रकृति का दोहन नहीं करता है। प्रकृति को सदैव शांत करने की भावना से वंदन करके अपने जीवन में धारण करता है।यही नहीं दुनिया ने युद्ध के खाई में संपूर्ण दुनिया को गिराने का प्रयास किया और भारत ने माता देवता है,पिता देवता है, गुरुदेवता है, अतिथि देवता बताकर के देवता भाव दुनिया के अंदर फैलने का काम किया। इस देवता भाव के पुनर्जागरण के लिए आज हम सभी इस वियतनाम की धरती पर पँचम धाम के माध्यम से आए हैं।

समृद्ध भारत की जब हम बात करते हैं तो भारत की समृद्धि का तात्पर्य केवल आर्थिक नहीं होना चाहिए क्योकि भारतीय दर्शन कहता है कि पैसे से कोई भी बड़ा हो सकता है,सौंदर्य से कोई भी अपने आप को बड़ा बनने का प्रयास कर सकता है दिखा सकता है,लेकिन अपने आप पर विजय प्राप्त करने का साहस बहुत कम लोग कर सकते हैं, वही हमे करना है।

समृद्ध भारत की जब हम बात करते हैं तो भारत की समृद्धि का तात्पर्य केवल आर्थिक नहीं होना चाहिए क्योकि भारतीय दर्शन कहता है कि पैसे से कोई भी बड़ा हो सकता है,सौंदर्य से कोई भी अपने आप को बड़ा बनने का प्रयास कर सकता है दिखा सकता है,लेकिन अपने आप पर विजय प्राप्त करने का साहस बहुत कम लोग कर सकते हैं,वही हमे करना है।

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